रांची। हाईकोर्ट ने राज्य में हवा, पानी और धरती पर रहने वाले सभी जीवों को विधिक अस्तित्व का दर्जा देते हुए उत्तराखंड के समस्त नागरिकों को उनका संरक्षक भी घोषित किया है। वरिष्ठ न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान पर्यावरण प्रदूषण, नदियों के सिकुडऩे आदि कारणों से लुप्त हो रहे प्राणियों और वनस्पतियों की जैव विविधता पर भी चिंता जताई। बनबसा चंपावत निवासी नारायण दत्त भट्ट ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में बनबसा से नेपाल के महेंद्रनगर की 14 किमी की दूरी में चलने वाले घोड़ा बुग्गी, तांगा, भैंसा गाडिय़ों का जिक्र करते हुए इन जानवरों के स्वास्थ्य परीक्षण, टीकाकरण की अपील की गई थी।
याची ने इन बुग्गियों और तांगों से यातायात प्रभावित होने और इनके जरिए अवैध हथियारों, ड्रग्स और मानव तस्करी की आशंका जताई थी। याचिकाकर्ता ने कहा था कि भारत-नेपाल सीमा पर इनकी जांच नहीं की जाती है। भारत-नेपाल सहयोग संधि 1991 के प्रावधानों का उल्लंघन किया जा रहा है। जनहित याचिका पर 13 जून को हुई सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।
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