कोलकाता। कोलकाता के डॉक्टरों ने दुर्लभ मामले में बच्चे की जान बचाई है। मामला कितना दुर्लभ था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि करोड़ों में से एक मामला कभी ऐसा होता है। इस दुर्लभ मामले में बच्चे का बचना नामुमकिन था, लेकिन डॉक्टरों ने टीम ने मां और बच्चे दोनों को सुरक्षित बचा लिया। रिपोर्ट के मुताबिक कोलकाता के पार्क सर्कस इलाके में स्थित कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉक्टरों ने बेहद खतरनाक ऑपरेशन को अंजाम दिया और जच्चा-बच्चा दोनों को सुरक्षित बचा लिया।
बारुईपुर के सूर्यपुर इलाके की रहने वाली 25 साल की माविया मंडल गर्भवती थी। अचानक से माविया को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। परिवार वाले उसे बारुईपुर अस्पताल लेकर गए। डॉक्टरों ने पहले नार्मल डिलीवरी की कोशिश की, लेकिन जब उसके आसार नहीं दिखे तो उन्होंने ऑपरेशन कर दिया। जैसे ही डॉक्टरों ने महिला के गर्भाशय को खोला हैरान रह गए, क्योंकि महिला के कोख में बच्चा था ही नहीं। डॉक्टरों ने फौरन महिला को नेशनल मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। जहां डॉक्टरों ने बताया कि महिला एक्सट्रा यूटेरीन प्रेंग्नेंसी के दुर्लभ मामले से ग्रसित है।
डॉ. हीरालाल कोनार ने नेतृत्व डॉक्टरों की टीम बनाई गई। महिला का ऑपरेशन किया गया। बच्चे और महिला दोनों को सुरक्षित बचा लिया गया। इस मामले में बच्चा गर्भाशय के बजाए एब्डोमिनल कैविटी में था। इसे दुर्लभतम माना जाता है। डॉक्टरों की माने तो करोड़ों में से कोई एक मामला ऐसा होता है। ऐसे मामलों में बच्चे का जीवित बचना नामुमकिन होता है, लेकिन कोलकाता के डॉ. हीरालाल कोनार और उनकी टीम ने महिला और उसके बच्चों दोनों को सुरक्षित बचा लिया। शिशु का वजन महज 1.75 किलो है।
एक्सट्रायूटेरीन प्रेग्नेंसी के बारे में डॉक्टर कहते हैं कि गर्भशय में भू्रण सामान्य जगह पर न होकर गर्भाशय की अंदरुनी परत के बाहर होता है। 95 फीसदी मामलों में यह फलोपियन ट्यूब में विकसित होता है, लेकिन बहुत रेअर मामले होते हैं, जिसमें भू्रण एब्डोमिनल कैविटी में विकसित हो जाता है।
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