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छत्तीसगढ़ के इस प्रसिद्ध जलप्रपात की सुरक्षा भगवान भरोसे, नारे लिखकर भूल गए अधिकारी, जान हथेली पर लेकर पहुंचते हैं पर्यटक

जगदलपुर। तीरथगढ़ जलप्रपात के अप्रतिम सौंदर्य को निहारने के लिये वर्षाकाल में अधिक से अधिक पर्यटक पहुंचते हैं लेकिन इस स्थान पर आवश्यक सुरक्षा के साधनों का अभाव देखकर उन्हें निराशा होती है। वन विभाग के अंतर्गत आने वाले इस तीरथगढ़ जलप्रपात में यत्र-तत्र सुरक्षा से संबंधित नारों को लिखकर वन विभाग ने अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है और भगवान भरोसे अपनी सुरक्षा अपने हाथ में लेकर पर्यटक आज भी इसे देखने आ रहे हैं। जानकारी के अनुसार तीरथगढ़ जल प्रपात में पर्यटकों की सुरक्षा व उन्हें आवश्यक सुविधाएं प्रदान करना वन विभाग के नियंत्रण में है। लेकिन वन विभाग की इस क्षेत्र में किये गये लापरवाही से प्रतिक्षण यहां दुर्घटना होने का भी डर बना रहता है।


उल्लेखनीय है कि कांगेर घाटी स्थित इस जलप्रपात का सौंदर्य बरसात के दिनों में और अधिक बढ़ जाता है। लोग भरपूर जल की मात्रा से इसे चरणों में गिरते हुए जलप्रपात के रूप में देखते हैं तो भाव-विभोर हो जाते हैं। आने वाले पर्यटकों को इस जल प्रपात की भौगोलिक परिस्थिति से जानकारी नई होती और वे इस जलप्रपात को पास से देखने के लिये कई बार खतरें से भरे स्थानों पर चले जाते हैं जहां रेलिंग व्यवस्था तो न के बराबर है और न ही कोई सावधान करने वाली जानकारी है। इससे हर बार पर्यटकों को नुकसान पहुंचने का खतरा बना ही रहता है।
कई पर्यटक तो अपनी सावधानी से खतरे में पडऩे के बाद भी किसी प्रकार अपनी जान बचाने में सफल होते हैं। जबकि वन विभाग को इन पर्यटकों के सावधान करने के लिये उपाय करने चाहिए। इस संबंध में वन विभाग के सूत्रों ने बताया कि पर्यटन क्षेत्र के महत्व को ध्यान रखते हुए इस तीरथगढ़ क्षेत्र के परिक्षेत्राधिकारी को इस दिशा में कार्य करना चाहिए। वही इस ओर से लापरवाह है और पर्यटकों की सुरक्षा हर समय दांव में लगी रहती है। (एजेंसी)

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