जगदलपुर। बस्तर में शिक्षा की बेहतरी के लिए बस्तर विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है किंतु बस्तर विश्वविद्यालय के जिम्मेदार लोगों की उदासीनता के कारण उसके साख पर बट्टा लग रहा है। बस्तर विश्वविद्यालय में पढऩे वाले बीएससी के छात्रों को रसायन विषय में 0 से लेकर 5 नंबर तक दिए गए हैं जो कि विश्वविद्यालय की शिक्षण व्यवस्था की कलाई खोलने के लिए काफी हैं।
ज्ञात हो कि पूर्व में बस्तर विश्वविद्यालय कई घोटालों के लिए सुर्खियों में आया था इसके लिए तत्कालीन बस्तर विश्वविद्यालय के कुलपति को धारा 4 के तहत हटाया गया था वही सचिव के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।
बस्तर विश्वविद्यालय के अंतर्गत पी जी कॉलेज धरमपुरा एवं पी जी कॉलेज भानपुरी के छात्रों के भविष्य के साथ कॉलेज प्रबंधन ने ऐसा मजाक किया है जो कि किसी से छुपा नहीं है।
बेचलर ऑफ साइंस अंतिम वर्ष के छात्रों को जीरो से लेकर 5 नवंबर तक दिया जाना वहां की पढ़ाई व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है। इस मामले को लेकर जमकर विवाद चल रहा है और कुलपति सिंह भी बेतुके बयान देकर अपना पल्ला झाडऩे की कोशिश कर रहे हैं जबकि प्रथम दृष्टया ऐसे प्राध्यापकों को बाहर निकालना था जिन्होंने इस तरह की गलती प्रश्न पत्र जांचने के दौरान की थी। बस्तर विश्वविद्यालय की कारगुजारी सोशल मीडिया में भी जमकर उछल रही है। छात्र नेता और नेत्री इस मामले पर जमकर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं और विश्वविद्यालय प्रबंधन अपनी रहस्यमई चुप्पी बरकरार रखी हुई है।
खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं : कमलेश दीवान
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता कमलेश दीवान ने कहा कि छात्रों के साथ खिलवाड़ किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जरूरत पड़ी तो उग्र आंदोलन करने से भी छात्र पीछे नहीं हटेंगे क्योंकि उनके जिंदगी का सवाल है। गरीब छात्रों के साथ इस प्रकार का मजाक प्रबंधन की लापरवाही उजागर करती है।
नतीजा हास्यास्पद : ज्योति
महिला कॉलेज की एनएसयूआई नेत्री ज्योति राव ने भी सवाल खड़ा किया है और इस मामले पर छात्रों के हित को देखते हुए पुन: जांच किए जाने की मांग की है और 0 से लेकर 5 नवंबर तक परीक्षकों द्वारा दिये जाने को हास्यास्पद माना है ।
एनएसयूआई संगठन के नेता खामोश
छात्रों के हित के लिए बनाई गई कांग्रेस पार्टी की अनुषांगिक संगठन भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के जिला स्तर के नेताओं की किसी भी प्रकार का बयान नहीं आ रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि एनएसयूआई को सिर्फ चुनाव तक ही कॉलेज की चिंता रहती है और उसके बाद छात्र हित के लिए उनके पास समय नहीं है।
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