रायपुर। संघ प्रमुख मोहन भागवत के छत्तीसगढ़ प्रवास को कांग्रेस ने भाजपा की राज्य से खिसक चुकी जमीन को बचाने की कवायद बताया है। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा सरकार के 14 वर्षो के कुशासन के कारण पूरे छत्तीसगढ़ में भाजपा के खिलाफ आक्रोश और गहरी नाराजगी का माहौल है। संघ और भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व के लोग इस बात को भली भांति जान चुके हैं, इसीलिए भाजपा और संघ के सारे बड़े नेता छत्तीसगढ़ की ओर दौड़ लगा रहे है। भाजपा अध्यक्ष अमितशाह के बाद प्रधानमंत्री मोदी और अब संघ प्रमुख भागवत की यात्रा उसी कड़ी का हिस्सा है।
आज संघ को आदिवासी अस्मिता पर मंथन और विचार करने की याद आ रही है, पिछले डेढ़ दशक से राज्य में संघपोषित राजनैतिक दल भाजपा की सरकार है इतने दिनों से संघ ने आदिवासियों की सुध क्यो नही ली? तब आदिवासी वर्ग के कल्याण की याद क्यो नही आयी? आज अपने सरकार की विदाई की बेला में संघ और भाजपा आदिवासी अस्मिता पर संगोष्ठी कर घड़ियाली आंसू बहाने का काम कर रहे है। भाजपा राज में आदिवासियों के संविधान प्रदत्त अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है। पेसा कानून के प्रावधानों को लागू नही किया जा रहा है। संविधान की पांचवी अनुसूची में आदिवासी क्षेत्रों के लिए किए गए प्रावधानों का पालन नही किया जाता। राज्य में वनाधिकार पट्टो को देने में जानबूझकर अड़ंगेबाजी की जाती है।
आदिवासियों के लिए भूमि बिक्री के सम्बंध में बनाये गए कानून को विधानसभा में संशोधित कर दिया गया। आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन पर अधिकार लगातार खतरे में है। भाजपा सरकार की इन करतूतों से प्रदेश का अदिवासी समाज भाजपा से नाराज है, लोग सरकार के खिलाफ लामबन्द होकर पत्थरगड़ी जैसे आंदोलन कर अपने अधिकारों को बहाल करने की मांग करते है तब भाजपा के नेता और सरकार में बैठे उनके नुमाइंदे इसे देश द्रोह की संज्ञा देते है। एक तरफ तो प्रदेश की सबसे बड़ी आबादी को उसके अधिकारों से वंचित किया जाता है दूसरी तरफ आदिवासी अस्मिता पर संगोष्ठी आयोजित करने की नौटन्की कर के भाजपा और संघ ने अपने दोहरे चरित्र को उजागर किया है।
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