छत्तीसगढ़ राज्य के लिए बनाई गई “बाल नीति” के प्रारूप का विमोचन
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा आज रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय परामर्श कार्यशाला में बच्चों के अधिकारों के संरक्षण से जुड़े विषयों के साथ-साथ “बाल मित्र राज्य की अवधारणा” विषय पर विशेष रूप से चर्चा की गई। कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों और वक्ताओं द्वारा जहां बच्चों के हित में साझा रणनीति तैयार करने पर विचार-विमर्श किया गया। वहीं छत्तीसगढ़ राज्य के लिए बनाई गई “बाल नीति” के प्रारूप का विमोचन किया गया। और इस प्रारूप पर विचार-विमर्श कर स्वीकृति हेतु राज्य शासन को सौंपा गया।
कार्यशाला के मुख्य अतिथि महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री श्रीमती रमशीला साहू ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में “बाल मित्र की अवधारणा” को पूरा किया जाएगा। बच्चे देश का भविष्य हैं और उनके विकास एवं मजबूती से ही देश की मजबूत नींव आधारित है। हम सब के लिए संकल्प लेने का समय है कि हमारे देश और राज्य के बच्चे सशक्त, सुशिक्षित और खुशहाल बने। उन्होंने कहा कि बेटा और बेटी दोनों बराबर हैं तथा इस संबंध में विभिन्न सामाजिक बुराईयां जैसे बाल विवाह, कुपोषण, गैर बराबरी, बाल शोषण आदि समाज के लिए बेहद घातक है। उन्होंने कहा कि अगर इस संबंध में कहीं भी कोई कमी या चुक होती है तो उसके लिए बाल संरक्षण आयोग को तत्परतापूर्वक कार्य करने की जरूरत है। लोकसभा क्षेत्र के सांसद रमेश बैस ने कहा कि भारत विश्व का सबसे युवा देश है लेकिन अगर बच्चों का संरक्षण का समुचित रूप से नहीं होगा तो उसका दुष्प्रभाव देश की मजबूती और विकास पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि बच्चों में कुपोषण, आवासहीनता, पालकों का अभाव, गरीबी जैसी समस्यां हो सकती है। उसके बावजूद भी उन्हें सामाजिक, शारीरिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाये जाने की जरूरत है। राष्ट्रीय बाल आयोग के सदस्य यशवंत जैन ने कहा कि बाल अधिकारों के संरक्षण तथा बच्चों के कल्याण के लिए बनाए गए विभिन्न नियमों-कानून के क्रियान्वयन की दृष्टि से राष्ट्रीय एवं राज्य के बाल आयोगों की महत्वपूर्ण भूमिका है। छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष प्रभा दुबे ने बताया कि आयोग द्वारा सीआरवाय (क्राइ) संस्था के सहयोग से छत्तीसगढ़ राज्य की “बाल नीति का प्रारूप” तैयार किया गया है। बाल आयोग द्वारा फिल्ड स्तर पर जाकर बाल चौपाल का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य छत्तीसगढ़ राज्य को बाल विवाह मुक्त, बाल श्रम मुक्त, बाल नशा मुक्त आदि बनाना है। कार्यशाला को केरल राज्य के बाल अधिकार संरक्षण के अध्यक्ष सीजे एंटोनी, राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी ने भी अपनी बात कही। कार्यशाला में छत्तीसगढ़ सहित मध्यप्रदेश, राजस्थान, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर सहित विभिन्न राज्यों के बाल अधिकार संरक्षण आयोगों के पदाधिकारी भी शामिल हुए। कार्यक्रम में विधायक एवं छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष देवजी भाई पटेल, विधायक श्रीचंद सुंदरानी, छत्तीसगढ़ बीज निगम के अध्यक्ष श्याम बैस, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष हर्षिता पाण्डेय, सीएसआईडीसी के अध्यक्ष छगन मुदड़ा, छत्तीसगढ़ सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के अध्यक्ष मोहन एंटी, पर्यटन एवं संस्कृति आयोग के अध्यक्ष केदार गुप्ता, युवा आयोग के अध्यक्ष अमरजीत छाबड़ा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया।
बाल गौरव सम्मान से सम्मानित हुए संस्थाएं एवं नागरिक
इस दौरान मुख्य अतिथि रमशीला साहू और अध्यक्ष रमेश बैस ने अनेक संस्थाओं और नागरिकों को “बाल गौरव सम्मान” से सम्मानित किया। उन्होंने सीआरवाय (क्राइ), डॉ.सीवी रमन विश्वविद्यालय और लोक शक्ति समिति के सदस्यों के साथ-साथ मोनिका और जितेन्द्र सिंह बघेल को इस सम्मान से नवाजा। कार्यक्रम में बाल संरक्षण गृह के बच्चों ने उत्कृष्ट सांस्कृतिक प्रस्तुति भी दी।
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