रायपुर। शिक्षाकर्मियों के संविलियन को लेकर अब पिटारा खुलने में केवल एक दिन का समय बचा है। सीएम ने एक जनसभा में संविलियन का एलान किया था। उसके बाद से ही कयासो का दौर शुरु हो गया। शिक्षाकर्मियों के अलावा अन्य लोगों में इस बात को लेकर असमंजस है कि आखिर 18 की कैबिनेट में होगा क्या? शिक्षाकर्मी भी इस बात को लेकर मंथन कर रहे हैं, कुल मिलाकर देखा जाए तो केवल अंदाजा ही लगाया जा सकता है कि कल क्या होगा, लेकिन चुनावी साल को देखते हुए एक बात तो साफ है कि सरकार किसी को नाराज नहीं करेगी और उसका पूरा प्रयास होगा कि सभी को कुछ न कुछ दिया जाए। आइए जानते हैं कि क्या स्थिति है वर्तमान में और सरकार क्या-क्या कर सकती है या उसे करना चाहिए, ताकि सभी संतुष्ट रहे?
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक तकरीबन एक लाख 42 हजार शिक्षाकर्मी है। जिनमें से एक लाख 28 हजार 8 साल की सीमा पार कर चुके हैं। इसके अलावा 9 हजार के आसपास 6 महीने के भीतर 8 साल की सीमा पार कर जाएंगे। अब अगर सरकारी आंकड़ों को देंखे तो दोनों को मिलाकर हो जाते हैं एक लाख 37 हजार यानी केवल पांच हजार ही बचते हैं। इसे देखकर ऐसा नहीं लगता की सरकार पांच हजार को छोड़ेगी। वह उन्हें भी बाकियों की तरह सुविधा दे देगी। दूसरा सवाल यह उठता है कि सरकार का कहना है कि शिक्षाकर्मी पद खत्म होंगे, यानी सभी शिक्षा विभाग के हो जाएंगे, यानी सभी का संविलियन हो जाएगा। अभी की स्थिति में जिनका आठ साल पूरा हो चुका है उन्हें 6वां वेतनमान दिया जा रहा है। संविलियन के बाद वे सातवें वेतनमान के हकदार हो जाएंगे।
अगर सरकार आठ साल से कम वालों को छोड़ती है तो वह उन्हें यह भरोसा दिला सकती है कि प्रक्रिया के तहत अपको भी लाभ दिया जाएगा। फिलहाल आप 6वां वेतनमान लें। उसके बाद आपको भी सातवां वेतनमान दिया जाएगा। अब सबसे बड़ा सवाल वर्ग-3 तीन का है। इनके और वर्ग-2 के वेतन में अंतर है, लेकिन यह वेतन पुनरीक्षण आयोग के द्वारा तय किया गया है। सरकार को वर्ग-3 को भी संतुष्ट करना है, इसलिए 8 साल, समयमान या क्रमोन्नति आदि की शर्त पूरी करने वाले शिक्षाकर्मियों को वेतन में बढ़ोतरी का तोहफा दे सकती है या फिर और कोई अंतरिम राहत उन्हें मिल सकती है या एक निश्चित राशी उनके वेतन में बढ़ाई जा सकती है।
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