छत्तीसगढ़

पत्थरगड़ी मामला: IB की रिपोर्ट, आदिवासियों को भड़काने की थी योजना, सरकार के तुरंत एक्शन में नहीं फैल पाई आग

रायपुर। पत्थरगड़ी का मामला आदिसवासियों को भड़काने के लिए किया गया था। यह एक प्रकार से प्रायोजित कार्यक्रम था, ताकि चुनावी साल मं में माहौल बनाया गया जा सके। कुछ गिने-चुने लोग इसे हवा देकर आदिवासियों के मसीहा बनने की कोशिश कर रहे थे। पत्थरगड़ी को पूरे राज्य में फैला कर माहौल खराब करने की मंशा थी, लेकिन सरकार के सख्त रवैये ने लोगों को भड़काने वालों की प्लानिंग पर पानी फेर दिया। ऐसी रिपोर्ट स्थानीय इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) ने सौंपी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अब पत्थरगड़ी को लेकर कोई खास बात नहीं है। मामला करीब-करीब शांत हो चुका है, लोगों को भी यह बात समझ में आ गई है कि उनका इस्तेमाल किया जा रहा था।
जो रिपोर्ट सौंपी गई है उसमें साफ तौर पर लिखा है कि आदिवासियों को सरकार के खिलाफ करने यह चाल चली गई थी, जिससे आदिवासी सरकार से नाराज हो जाए।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि सरकार या उनके जनप्रतिनिधियों की सरकार से दूरी ने भी आदिवासियों को पत्थरगड़ी की ओर झुकने पर मजबूर किया। पत्थरगड़ी को हवा देने वालों ने इसी बात का फायदा उठाया। पत्थरगड़ी को लेकर सरकार द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई ने इसे बढऩे से पहले ही शांत कर दिया। रिपोर्ट में कहा गया है। आदिवासी जनप्रतिनिधियों की संवादहीनता से खासे नाराज थे, लेकिन अब सरकार की चुस्ती से यह मामला सुलझता दिख रहा है। उल्लेखनीय है कि झारखंड में पत्थरगड़ी की शुरुआत हुई थी उसके बाद मामला छत्तीसगढ़ पहुंचा था। यहां भी मामला तूल पकड़ रहा था कि सरकार ने तेजी से कार्रवाई करते हुए मामले को शांत कर दिया।

यह भी देखें : पत्थरगड़ी के विरोध में सर्व सनातन आदिवासी समाज का उपवास एवं सद्भावना यात्रा

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