चंद्रकांत पारगीर, बैकुंठपुर। शहर विकास के साथ बढ़ती आबादी पर्यावरण को खासा नुकसान पहुंचा रहे है वहीं वन्य जीवों का अस्तित्व भी संकट में है। कई वन्य जीव अब दुर्लभ हो गये हैं, जितने वन्यजीव बचे हुए है उनके उपर भी खतरा मंडरा रहा है। पूरे विश्व में प्रत्येक 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है और इस दिन कई सेमिनार व आयोजन कर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ी-बड़ी बातें की जाती है, लेकिन वह सिर्फ आयोजन तक ही सीमित रहता है। वनों की अवैध कटाई के साथ विकास के नाम पर पेड़ पौधों की कटाई जमकर हो रही है, बढ़ती आबादी के कारण वन क्षेत्र घटता जा रहा है जिससे कि वन्य जीवों के रहने के लिए स्थान नही बच रहा है इसके अलावा लोगों के शिकार भी वन्य जीव बनते जा रहे है। वर्तमान समय में वनों की अवैध कटाई घास स्थलों का, चारागाह स्थलों का रूपांतरण कई समस्यों का कारण है। जिसका हल निकालने की जरूरत है और इस पर पहल करने पर ही पर्यावरण से संबंधित विभिन्न समस्याओं का निराकरण किया जा सकता है।
कोरिया जिले में भरतपुर सोनहत विधान सभा क्षेत्र वनों से आच्छादित क्षेत्र है। एक समय भरतपुर सोनहत विकासखंड प्रदेश में सबसे विरल जनसंख्या घनत्व वाला क्षेत्र में शामिल था। इस क्षेत्र में वनों की सघनता सबसे ज्यादा है लेकिन बढ़ती आबादी के कारण वनों का अवैध कटाई हो रही है। मप्र व उप्र की सीमा से लगे होने के कारण भरतपुर सोनहत क्षेत्र में अंतर्राज्यीय वन तस्करों की नजर है। वहीं स्थानीय लोगों के द्वारा भी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे है। ज्ञात हो कि भरतपुर सोनहत क्षेत्र में ही क्षेत्रफल की दृष्टी से प्रदेश का सबसे बडा गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान स्थित है। जहां दर्जनों प्रकार के पेड पौधों के साथ औषधीय पौधे व जीव जंतु पाये जाते है जिनमें से कई जीव जंतु अब विलुप्त होनें के कगार पर है।
कोरिया में दर्जनों प्रकार के वनस्पति मौजूद
कोरिया जिला वनों से आच्छादित जिला है यहां कई तरह के पेड़ पौधे के साथ वनस्पती पाये जाते है साथ ही कई दुर्लभ पेड भी है इसके अलावा औषधीय पेड पौधों की भी कमी नही है इनके संरक्षण की दिशा में लगातार प्रयास किये जा रहे है। ज्ञात हो कि कोरिया वन मण्डल में दुर्लभ प्रजाति का औषधीय पोधा दहीमन है जिसे राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन के लिए विशेष तौर पर कुछ वर्षो पूर्व भेजा गया था। कई पेड पौधे तो ऐसे भी पाये जाते है जिनका नाम कई लोगों को जानकारी ही नही है। जानकारी के अनुसार कोरिया वन मण्डल में बबूल, खैर, सफेद खैर, करमी, बेल, महानीम, जटखेरी, करही, धौरा, नीम, कठमुहली, तेवर, सालिया, कसई,पलास, कुंभी, तून, भरही,बहुआर, हरदी, शीशम, फांसी, माकरतेंदू, तेंदू, कठजमती, बरगद, पीपल,खम्हार, चिलबिल, भंवरसाल, बारंगा, सीधा, आम, गीजन, करंज, बीजा, डकावल, सेमल, चंदन, रीठा, कुसुम, खाजा, सरई, रोहिना, कलम, कोगो, ईमली, सागौन, कहुआ, बहेरा, हर्रा, साज, सन्दन, तिलई, शामिल है इसके अलावा छोटे वृक्षों में कोईलार, अचार, चिल्ही, अमलतास, गलगला, ममार, आंवला, ककई, खदर, पिपरौल,आल, पंडार, मैनफल, भेलवा, दूधी, बेर, घोंट, पोटे, गोकुल, सीताफल,सरवत, कारंगी, करौंदा, चिरोटा, भैंसाफूल, सासापोडा, बनतुलसी, जमती, थूहा, जोगनी, गलफूली, घुंसी,ऐंठी, कोरया, जिरहुल, पुटुस, छिंद, खेसारी, बासकपास, कठुआन, धवई, बेरी शामिल है।
कोरिया वन मण्डल में औषधीय प्रजाति के वनस्पति में प्रमुख रूप से अचार, घृतकुमारी, अन्नाटो, आंवला, अनन्तमूल, अवश्वगंधा, बहेडा, बायविडिंग, वैचांदी, बेल, भृंगराज, दहिमन ब्राम्ही, बच, चिरायता, धवई फूल, गुडुची, गुंज, हडजोड, हर्रा, इमली, इसबगोल, जंगली अदरक, काली मूसली, कालमेघ, कस्तुरी भिंडी, केउकंद, केवांच, केटकी, कुल्लू, लेमन ग्रास, लाजवंती, लोध, माहूल पत्ता, मंडुकपर्णी,पाताल कुंम्हडा, राम दातुन, सदाबहार, सफेद मूसली, सतावर, साल बीज, सनाय पत्ता, सर्पगंधा, सिंदूर, तिखुर, वन तुलसी, विदारी कंद आदि शामिल है। इसके अलावा कई तरह के घास भी यहॉ पाये जाते है। जिनमें फुलबहरी,कुश, भुरभुसी, बगई, चुरांट, चीर, कांसा, सेदू, गजदा, खस, आदि है।
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