चंद्रकांत पारगीर, बैकुंठपुर। कोरिया जिले में 3 साल की बजाय 30 सालों से पदस्थ अधिकारियों कर्मचारियों की वजह से हर चुनाव प्रभावित होता आ रहा है। हर चुनाव में यह देखने में आता है कि वर्षो से जमे अधिकारी कर्मचारी चुनाव के महत्वपूर्ण कमिशिनिंग कार्य का जिम्मा सौंपा जाता है। वो ही चुनाव को प्रभावित भी करते हैं और तो और ऐसे कई विभागीय अधिकारियों को चुनाव के दौरान विभिन्न चेक पोस्टों पर तैनात भी किया जाता है, जहां से वो अपने पसंद के नेताओं के वाहनों जांच मेंं रकम के आदान प्रदान में ढिलाई भी बरतते है। जिसका लाभ किसी एक राजनैजिक दल को मिलता है।
आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने 3 साल से ज्यादा समय से पदस्थ ऐसे अधिकारियोंं कर्मचारियों को हटाने के निर्देश जारी कर दिए है, वहीं कोरिया जिले को लेकर चुनाव आयोग के निर्देशों का असर बीते कई लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में नजर नहीं आया है। जिले के जलसंसधान विभाग में पदस्थ अधिकारी और कर्मचारी 20 से 30 साल से यहां पदस्थ हैं, कई का स्थानांतरण होने के बाद भी वापस अपनी पदस्थापना कोरिया करा कर ले आए हंै। इस विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों को चुनाव के दौरान ईवीएम के कमिशिनिंग के कार्य का जिम्मा सौपा जाता है। लम्बे समय से यहां पदस्थ इन अधिकारिेयों और कर्मचारियों की पैठ कांग्रेस भाजपा दोनों की राजनैतिक दलों में है। वहीं अन्य विभाग में पदस्थ कई अधिकारियों व कर्मचारियों की पहली पदस्थापना कोरिया थी और अब भी वो कोरिया में ही पदस्थ होकर चुनाव के महत्वपूर्ण कार्यों का संपादन भी कर रहे है। ऐसे कई अधिकारी और कर्मचारियों की तैनाती चुनाव आयोग द्वारा बनाए गए चेकपोस्ट पर भी की जाती है जो पसंद के राजनैजिक दलों के वाहनों की जांच भी नहीं करते हैं। ऐसे में चुनाव के दौरान शराब और रकम के आदान प्रदान पर किसी भी तरह की रोक नहीं लगती है और आचार संहिता के दौरान शराब का वितरण और धनबल का जमकर प्रयोग होता है। ऐसा ही हाल हर जनपद पंचायत और जिला पंचायत में पदस्थ अधिकारी कर्मचारियों का भी है।
अंगद की पैर की तरह जमे अधिकारी कर्मचारी
कोरिया जिले के भरतपुर विकासखंड में पदस्थ अधिकारी कर्मचारी अंगद के पैर की तरह लंबे समय से जमे हुए हैं। यहां पदस्थ कई लोगों ने सरकारी भवनों को अपने हिसाब से बना लिया है, कईयों ने सरकारी भवनों में बडी बडी दुकानें बनाकर किराए पर दे रखी है। ज्यादातर लोक निर्माण विभाग के भवनों में ऐसा देखने को आ रहा है, 25 साल से ज्यादा समय से पदस्थ ऐसे अधिकारी कर्मचारियों पर बीते कई चुनाव में चुनाव आयोग की नजर नहीं पड सकी है। ऐसे में एक फिर चुनाव आयोग ने ऐसे सरकारी लोगों को हटाने की सूची तैयार करने के निर्देश जारी किए है, अब देखना है कि अंगद के पैर की तरह जमें अधिकारियो कर्मचारियों को आगामी विधानसभा चुनाव में हटाने में आयोग कामयाब हो पाता है या नहीं।
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