चंद्रकांत पारगीर, बैकुंठपुर। चुनावी वर्ष में बायपास निर्माण के भूमिपूजन पर पहुंची खेल मंत्री राजवाडे को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा और जब मामले में उलझ गए तो जानकारी नहीं होने की बात कहने लगे। इधर एनएच के एसडीओ बीके चतुर्वेदी का कहना है कि पटवारी ने जिसकी भूमि इसमें आ रही है उसका सीमांकन किया है। इसकी प्रक्रिया बीते डेढ़ वर्ष से जारी है। जब उनसे पूछा गया कि ऐसे किसानों की बैठक या जनसुनवाई भी नहीं कराई गई है, तो उनका कहना है कि काम पब्लिक इंटरेस्ट का है। लोगों को जल्दी इसका लाभ मिले इसलिए इसे फटाफट किया जा रहा है। मुआवजा अभी तक किसी को नहीं मिला है।
वहीं खरवत निवासी गणेश राजवाडे का कहना है कि आखिर मंत्रीजी को किस बात की हडबडी है, जनहित के मामलों में बिना जानकारी भूमिपूजन करने आना कहां तक जायज है। कब किसकी जमीन कैसे ली जा रही है, अधिकारियों ने किसानों को धोखे में रखा है। लोगों की जमीन पुरखों के नाम से चली आ रही है, जमीन का बंटवारा नहीं हुआ है, ऐसे में मुआवजा प्रकरण किस आधार पर किस के नाम से बनाए जा रहे है किसानों को इसकी कोई जानकारी नहीं है।
वहीं कांग्रेस के पीसीसी सदस्य गुलाब कमरों का कहना है कि सिर्फ भूमिपूजन करने से मतलब है, लोगों को मुआवजा मिला है कि नहीं इससे कोई लेना देना नहीं है, विवाद होने पर इनका रटारटाया जवाब रहता है कि इनको कोई जानकारी ही नहीं थी।
दरअसल, कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से गुजरने वाले एनएच को बायपास बनाकर शहर के बाहर निकाला जाना तय हुआ।
इसके लिए लम्बे समय से राजनीति हो रही थी, एनएच में अपनों की जमीन ना फंसे इसके लिए जनप्रतिनिधियों ने कई गुणाभाग लगाकर खरवत गेट से सरकारी भूमि लेकर बायपास स्वीकृत करवाया। 24 मार्च को जिलामुख्यालय पहुंचें राज्य के मुख्यमंत्री ने बायपास स्वीकृति की जानकारी दी और बताया कि शहर के बीचोबीच एनएच नही जाएगा। इधर, जब 27 मई को मंत्री राजवाडे बायपास का भूमिपूजन करने पहुंचें, तो दर्जनों किसानों ने इसका विरोध कर दिया, किसानों का कहना है कि इस बायपास में 50 से ज्यादा किसानों की भूमि आ रही है। जिसका अधिग्रहण किया जाना है। परन्तु अधिकारियों ने इसकी कोई जानकारी किसानों को नहीं दी है। पटवारी ने जो मार्क लगाया है, उसके मुआवजे की जानकारी भी लोगों की नहीं है। किसानो का कहना है कि बायपास बने परन्तु सरकारी प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। सिर्फ आगामी चुनाव को ध्यान में रखते फटाफट भूमिपूजन कर जैसे तैसे निर्माण पूरा करने नेता और अधिकारी पूरा जोर लगा रहे हैं।
भू-अर्जन नियमों का पालन नहीं
बायपास के लिए एनएच ने भू अर्जन नियमों का पालन नहीं किया। जानकारी के अनुसार केन्द्र सरकार द्वारा नया भू अधिग्रहण अधिनियम (भूमि अर्जन, पुनर्वास और पुनव्य र्वस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013 बनाया गया, जिसे एक जनवरी 2014 राष्ट्रीय से लागू किया जा चुका है। ऐसे में राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना के तहत निर्मित होने वाली और निर्माणाधीन सड़कों के साथ ही बाईपास सड़क निर्माण के लिए भू-अर्जन नवीन भू-अर्जन अधिनियम के तहत किया जाना है। राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना के तहत बनने वाली सड़कों उन्नयन कार्य और चौड़ीकरण कार्य के लिए भू-अर्जन के लिए जिनकी भूमि अधिग्रहित की जानी है उनके मुआवजे की जानकारी लोगों की दी जानी चाहिए थी, उन्हें बताया जाना चाहिए था, परन्तु विभाग ने ऐसा कुछ भी नहीं किया।
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