सियासत

बहुमत के जादुई आंकड़े से दूर येदियुरप्पा को कुर्सी बचाने ‘चमत्कार’ की उम्मीद

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा अपनी कुर्सी बचाए रख पाएंगे या नहीं, इसका फैसला शनिवार शाम को विधानसभा में होगा। हालांकि भाजपा और पार्टी समर्थकों की उम्मीदें अब येदियुरप्पा से 2008 का करिश्मा दोहराने पर टिकी हैं। उस वक्त येदियुरप्पा ने ऑपरेशन लोटस के तहत कई विपक्षी विधायकों के इस्तीफे कराकर अपनी अल्पमत सरकार को बचाया था। इस बार भी उनसे ऐसे ही चमत्कार की उम्मीद लगाई जा रही है। इसमें वह कितना सफल होते हैं, यह शनिवार को ही पता चलेगा। बहुमत के जादुई आंकड़े से सात सीट पीछे येदियुरप्पा के सामने कुर्सी बचाने के लिए आठ विपक्षी विधायकों की क्रॉस वोटिंग या मतदान के दौरान 14 विपक्षी विधायकों की हर हाल में गैरहाजिरी सुनिश्चित कराना ही एकमात्र विकल्प है।


भाजपा की निगाहें कांग्रेस और जद-एस से जीते 31 लिंगायत विधायकों पर लगी हैं। येदियुरप्पा इसी समुदाय से आते हैं और उन्हें उम्मीद है कि विपक्षी दलों के इस समुदाय के कुछ विधायक भाजपा का समर्थन करेंगे। सूत्रों का कहना है कि लिंगायत समुदाय के विपक्षी दलों के विधायकों को येदियुरप्पा की मदद करने के लिए मठों का भी सहारा लिया जा रहा है। राज्यपाल वजुभाई वाला द्वारा प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किए गए केजी बोपैया मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के खास माने जाते हैं। वह पिछली भाजपा सरकार के दौरान 2009 से 2013 तक विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके हैं। अक्टूबर 2010 में जब येदियुरप्पा अवैध खनन मामलों से घिरे थे, उस वक्त कई भाजपा विधायकों ने येदियुरप्पा का विरोध किया था। बतौर स्पीकर बोपैया ने 11 बागी पार्टी विधायकों और 5 निर्दलीय विधायकों को अयोग्य करार देकर येदियुरप्पा की सरकार बचाई थी।

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