चंद्रकांत पारगीर, बैकुंठपुर। वनों से अजीविका के साधनों से यहां के लोगों को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने के लिए कोरिया और मनेन्द्रगढ़ वनमंडल को चुना गया है, यहां इसमें ऐसा कुछ ठोस कार्यक्रम की शुरूआत की जा रही है, जिससे नियमों में आने वाले हर अधिकारी को इसे आगे लेकर जाना मजबूरी हो जाएगी। उक्त बातें सरगुजा सीसीएफ केके बिसेन ने बांस के 105 प्रजातियों के पौधारोपण के दौरान कही।
दो दिवसीय कोरिया दौरे में पहुंचें सीसीएफ केके बिसेन ने कोरिया वन मंडल स्थित बैकुंठपुर के रामपुर नर्सरी में बांस की 100 प्रजातियों में से 20 प्रजातियों के बांस का रोपण का शुभारंभ किया। इस नर्सरी में लाई गई बांस की 100 प्रजातियों को असम, नागालैड, त्रिपुरा से मंगाया गया है। शेष 5 कोरिया की स्थानीय प्रजातियां भी लगाई जा रही है।
सीसीएफ श्री बिसेन ने बताया कि संभाग में पहली बार बंबू सेटअप तैयार किया जा रहा है, लोगों को अजीविका मिशन से जोडऩे के लिए कोरिया और मनेन्द्रगढ़ वनमंडल में इसकी शुरूआत कर दी गई है। जो आने वाले समय में इससे यहां के लोगों के लिए आर्थिक मजबूती प्रदान करेगी। उन्होनें बताया कि यहां बांस के साथ एलोवेरा, टसर, लाख और मछली उत्पादन को लेकर कार्यक्रम बनाए गए है। बांस के कारीगरों की खोज की जा रही है।, जिले भर में बांस के कारीगरों को उन्नत तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाएगा, हालांकि अभी कोरिया वनमंडल द्वारा आन्नदपुर में दिया जा रहा है। जिसका अच्छा परिणाम देखने को मिल रहा है।
डीएफओ श्री आओ ने बताया कि आन्नदपुर नर्सरी में बांस के फर्नीचर तैयार किया जा रहे है, यहां के लोगों को वनमंडल ने प्रशिक्षित किया है। उन्होने बताया कि यहां के मिट्टी बांस के लिए काफी उपयोगी है, जिसको देखते हुए नागालैड, असम, त्रिपुरा से 100 प्रजातियों को लाया गया है। यहां पूर्व में कोरिया कुमार द्वारा चीन से लाया गया उन्नत किश्म का बांस का रोपण किया गया था उसको आन्नदपुर नर्सरी में प्रयोग कर उसका विस्तार किया गया है, जिससे नए बांस के पौधे भी तैयार हुए है। इस अवसर पर डीएफओ श्री आओ, रेंजर अखिलेश मिश्रा, पवन रूपौलिया के साथ काफी संख्या में वनकर्मी उपस्थित रहे।
पौधे में है जीव
बांस के पौधोरोपण के दौरान सीसीएफ श्री बिसेन ने वन विभाग के समस्त कर्मचारियों के सामने पौधे को लगाने की विधी को समझाते हुए बताया कि पौधों में भी जीव है, पौधारोंपण से पहले मंत्रों को उच्चारण किया गया, उसके बाद उन्होने उसमें अलग अलग खाद डालकर उसका रोपण किया गया, उसके उपरांत पौधें के चारों ओर कॉलर का निर्माण करवाया, कॉलर में मूंग के दाने रोपे गए, उन्होने बताया कि मंूग के दानें रोपे जाने से मंूग का पौधा नाईट्रोजन सोखकर बांस के पौधे को प्रदान करेगा, और खुद मूंग का पौधा हरे खाद के रूप में पौधे के काम आएगा जिससे बांस का पौधा तेजी से पनपेगा और बडा पेड बनेगा। जिसके बाद डीएफओ आओ ने इस तरह के पौधारोपण को पूरे जिले में लागू करने के निर्देश दिए।
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