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संयुक्त राष्ट्र ने रूस को मानवाधिकार परिषद से किया निलंबित, वोटिंग से भारत रहा नदारद

नई दिल्ली. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने गुरुवार को यूक्रेन के बुचा में हत्याओं के बाद रूस को मानवाधिकार परिषद से निलंबित कर दिया है. यह जानकारी समाचार एजेंसी एएफपी ने दी है. इस कार्रवाई पर यूक्रेन ने आभार जताया है और कहा कि संयुक्त राष्ट्र के निकायों में युद्ध अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं है. हालांकि रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्‍ताव में 95 देशों ने समर्थन में वोट किया था, जबकि 24 देशों ने प्रस्‍ताव के खिलाफ वोट किया. भारत इस बार भी वोटिंग में शामिल नहीं हुआ. कुल 58 देशों ने वोटिंग में हिस्‍सा नहीं लिया. कीव के बूचा में सामूहिक नरसंहार की तस्वीरें सामने आने के बाद रूसी सैनिकों पर युद्ध अपराध के आरोप लग रहे हैं. यहां 400 से ज्यादा लाशें मिली थी.

यूक्रेन राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूसी सैनिकों को हत्यारा कहा है. वहीं, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की न्यूयॉर्क में बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने यूक्रेन युद्ध को सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बताया था. यूक्रेन के शहर बूचा और कीव में हुए हमलों और सामूहिक नरसंहार पर तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है. दुनिया भर के देशों ने इस पर तत्‍काल निर्णय लेने को कहा था. हालांकि रूस इस घटना से साफ इनकार कर रहा है. रूस का दावा है कि ऐसा कोई भी नरसंहार नहीं हुआ है. रूसी सैनिकों के शामिल होने के आरोप सही नहीं हैं. बूचा की पिछले महीने ली गई सैटलाइट तस्‍वीर में एक चर्च के अंदर 45 फुट लंबी सामूहिक कब्र दिखाई दी थी. उस समय यह इलाका रूसी सेना के नियंत्रण में था.

बूचा और यूक्रेन के अन्य शहरों में हिंसा को लेकर जेलेंस्की ने यूएनएससी में कहा कि रूस की सेना और इसके लिए आदेश देने वालों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि रूस को सुरक्षा परिषद से बाहर कर देने की जरूरत है.

रूस को मानवाधिकार परिषद से निलंबित करने पर आभार जताया
यूक्रेन ने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से रूस को निलंबित करने के निर्णय के लिए ‘आभारी’ है. उसने कहा कि ‘युद्ध अपराधियों’ का इस परिषद में प्रतिनिधित्व नहीं किया जाना चाहिए. विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने ट्विटर पर कहा, ‘मानव अधिकारों की रक्षा के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र के निकायों में युद्ध अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं है.’ उन्‍होंने कहा कि उन सभी सदस्य देशों का आभारी हूं जिन्होंने प्रासंगिक यूएनजीए (संयुक्त राष्ट्र महासभा) के प्रस्ताव का समर्थन किया और इतिहास के सही पक्ष को चुना.

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