छत्तीसगढ़

शिक्षाकर्मियों के नाम खुला पत्र, इधर-उधर की बात न कर संविलियन कर संविलियन कर, कुछ लोग मुद्दों से भटका रहे हैं ध्यान

रायपुर। संविलियन की मांग को लेकर अडिग शिक्षाकर्मियों का ध्यान भटकाने के लिए अलग-अलग मुद्दे उठाएए जा रहे हैं। शिक्षाकर्मियों की मुख्य मांग संविलियन ही है। इस संबंध में एक पत्र जारी करते हुए शिक्षक पंचायत ननि मोर्चा के उप-संचाकल धर्मेश शर्मा ने कहा कि आप सभी बुद्धिजीवी शिक्षाकर्मी साथी अच्छी तरह से जानते हैं कि एक मई को हम सब के संबंध में एक अति महत्वपूर्ण उच्चस्तरीय बैठक संपन्न होने जा रही है, जिसकी चर्चा पूरे राज्य के सभी हलकों में हैं मैं यह मानता हूं कि  समस्त शिक्षाकर्मियों का संविलियन ही हम सबकी निर्विवाद मांग ही नहीं बल्कि हम सबकी समस्त समस्याओं व मांगों का समग्र व स्थाई समाधान है संविलियन पर निर्णायक पहल तथा निर्णय होने का पुन: और अंतिम अवसर आ चुका है, अत: सभी मंचों से हर तरफ से इधर उधर की बात करने के बजाय संविलियन की ही चर्चा होनी चाहिए तथा उसके लिए वातावरण बनाना चाहिए साथ ही अब तक संविलियन नहीं होने का आक्रोश भी अवश्य जाहिर होना चाहिए ताकि एक मई की बैठक में निर्णायक परिणाम हम सभी के लिए आ सके व बैठकों का दौर समाप्त हो सके।



श्री शर्मा ने लिखा है कि खेद का विषय है कि हमारे बीच के कुछ लोगों का व्यवहार वह कार्यशैली हमारे लिए अति महत्वपूर्ण दौर में अनपेक्षित प्रतीत हो रही है शायद ऐसे ही अनपेक्षित व्यवहार व वातावरण के कारण ही 20 वर्षों में भी संविलियन नहीं मिल सका है। सोशल मीडिया में कुछ ऐसे वैकल्पिक मुद्दे उठाए जाते रहे हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संविलियन के मुद्दों से ध्यान भटकाने का ही प्रयास माना जा सकता है, ऐसे प्रयासों का कुछ राजनीतिक मकसद है या किन्ही लोगों की महत्वकांक्षा से जुड़ा हुआ है, यह तो पता नहीं, लेकिन ऐसे प्रयासों का करारा जवाब देना ना केवल आवश्यक अपितु हम सब की जिम्मेदारी है। वर्तमान महत्वपूर्ण समय में ऐसे कुछ विषय जिन पर हम सभी को विचार कर शिक्षाकर्मी हित में समुचित वातावरण बनाना चाहिए तथा कुत्सित प्रयासों को करारा जवाब देना चाहिए।

पूर्व में संविलियन के अवसरों का सही ढंग से परिणाम में ना बदल पाना, संविलियन व क्रमोन्नत वेतनमान के नाम पर लोगों को गुमराह कर अनेक बार समस्त कर्मचारियों को कागजी कार्रवाई में उलझाना, वेतन विसंगति के मामले को उचित तरीके वांछित मंच पर प्रस्तुत कर समाधान के बजाए लोगों को गुमराह करना, संगठनात्मक एकता का उपदेश देते रहना किंतु हर स्तर पर केवल अपने संगठन व पदाधिकारियों को महिमामंडित करने का प्रयास करना, पेड न्यूज की तरह खबर चलवाना, राज्य के मुखिया से मुलाकात को विवाद का विषय बनाना किंतु राजनीतिक दल के मुखिया से मुलाकात का महिमामंडन करना, सर्व शिक्षा अभियान का वेतन के संबंध में 3 माह से केवल काल्पनिक खबर चलाना व उच्च अधिकारियों से दूरभाष पर चर्चा का हवाला देना, हर महत्त्वपूर्ण अवसर व बैठक पर भागीदारी से बचना तथा सर्वसम्मत निर्णय से इतर खबर फैलाना, मुख्य विषय व महत्वपूर्ण गतिविधियों के दौरान मुख्य विषय से हटकर वैकल्पिक विषयों को उठाकर फोकस बदलने की कोशिश करना।

यहाँ भी देखे – शिक्षाकर्मियों के Whatsapp Dp में भी संविलियन, सरकार तक अपनी बात पहुंचाने चला रहे अभियान

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