चंद्रकांत पारगीर, बैकुंठपुर। कोरिया जिला प्रशासन अब सरकारी भवनों को भगवा रंग देने में जुटा हुआ है, जिला अस्पताल और उससे लगे नए और पुराने भवनों को भगवा रंग से भगवामय कर दिया गया है।
इसस संबंध में जिला अस्पताल के प्रभारी सीएस डॉ एसके गुप्ता का कहना है कि रंग का चयन हम सबने मिलकर तय किया था।
इधर समाजिक कार्यकर्ता सुरेन्द्र सिंह छोटू ने प्रशासन पर भाजपा के लिए काम करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि भाजपा के कार्यक्रम में भीड़ इक_ी करना हो या उनके कार्यकर्ताओं को उपकृत करने का काम हो, प्रशासन हर तरह की मदद के लिए डीएमएफ का खजाना खोल रखा है। ना तो इसकी कोई जांच की जाती है। वे ऐसे अधिकारी को विधानसभा चुनाव से हटाने के लिए चुनाव आयोग को पत्र लिखेगें, ताकि निष्पक्ष चुनाव कराए जा सके। जानकारी के अनुसार जिले में डीएमएफ की राशि का बंदरबांट थमने का नाम नही ले रहा है, प्रशासन द्वारा डीएमएफ के राशि के विरूद्ध मिली शिकायतों पर किसी भी तरह की जांच कर कार्यवाही करने के लिए तैयार नही है। दूसरी अब प्रशासन सरकारी भवनों को भगवामय करने में लगा है, इसकी शुरूआत जिला अस्पताल से की गई है। जिला अस्पताल के नए भवन को चारों ओर भगवामय कर दिया गया, वहीं इससे लगे नेत्र विभाग का भवन, पुराने अस्पताल भवन को भी भगवा रंग में कर अपने को भाजपा के करीबी बताने में अफसर पीछे नहीं है। बीते चार माह से जिला अस्पताल में रंग का कार्य चल रहा था जो अब पूरा कर लिया गया है।
हलांकि अस्पताल प्रबंधन रंग के चयन को लेकर पीडब्ल्युडी और सभी के अफसरों की राय बता रहा है। परन्तु जिला प्रशासन को इस रंग के बारे में खबर ना हो ऐसा नहीं हो सकता। जबकि बीते कुछ ही माह पहले कायाकल्प योजना के तहत जिला अस्पताल को सफेद रग से रंगवाया गया था, उसके बाद फिर अचानक डीएमएफ से 25 लाख रू की राशि स्वीकृत कर जिला अस्पताल को भगवा रंग से रंग डाला गया।
जनकपुर में भी जारी है रंगाई
जानकारी के अनुसार भरतपुर के तहसील मुख्यालय जनकपुर के 100 बिस्तरीय अस्पताल में भी पुताई का काम जोरो पर है। सूत्र बताते है कि डीएमएफ से यहां निचले तल की पुताई के लिए 1क़ लाख जबकि ऊपरी तल के लिए 8 लाख रुपये की राशि जारी की गई है। दोनो काम बिना टेंडर जारी है। अभी अंदर की पुताई का काम चल रहा है।
किया जा रहा है वेबसाईट पर गुमराह
राज्य के खनिज सचिव के स्पष्ट निर्देश के बाद डीएमएफ की जानकारी वेबसाईट पर नहीं अपलोड की जा रही है। दरअसल, बेधडक मनमर्जी से करोडों रूपए के कार्य स्वीकृत कर दिए गए। लोगों को इस बात की जानकारी ना हो इसके लिए स्वीकृत कार्यों को छुपाया जा रहा है। वहीं कोरिया की वेबसाईट पर 3 जून 2017 का पत्र पोस्ट कर यह बताया गया है कि अप्रैल 2017 तक के स्वीकृत कार्यो की सूची उपलब्ध है, परन्तु सूची में सिर्फ मार्च 2017 तक के ही स्वीकृत कार्यो की सूची है, वर्ष 2017-18 जिसमें अप्रैल 2017 से मार्च 2018 तक के स्वीकृत कार्यों की सूची अब तक वेबसाईड पर अपलोड नहीं की गई है।
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