रायपुर। शासन और शिक्षाकर्मियों के बीच एक मई को अहम बैठक होने वाली है, चूंकि संविलियन सहित अन्य मांगों के निराकरण हेतु गठित हाई पावर कमेटी का बढ़ा हुआ कार्यकाल समाप्ति की ओर है और मप्र और राजस्थान जाकर अधिकारीगण वहां की व्यवस्था का अध्ययन कर लौट भी चुके हैं इसलिए आगामी 1 मई की बैठक अत्यंत महत्वपूर्ण है। वैसे भी शिक्षाकर्मियों के लिए यह दिन बहुत भाग्यशाली है।
जानिए क्यों हैं शिक्षाकर्मियों के लिए 1 मई लकी
1 मई 2005 में संविदा शिक्षक से बने थे शिक्षाकर्मी स्कूलों में 1998 से चली आ रही शिक्षाकर्मी भर्ती को बन्द कर तत्कालीन शासन ने 2002 से संविदा शिक्षक की भर्ती करना प्रारम्भ कर दिया था जिसमे केवल 11 महीने की नियुक्ति और अत्यंत अल्प एकमुश्त वेतन दिया जाता था। 2004 में विरेन्द्र दुबे के नेतृत्व में संविदा शिक्षकों ने एक बड़ा आंदोलन किया जिसमें जेल भरो आंदोलन भी शामिल था। इस जबरदस्त आंदोलन के परिणामस्वरूप छत्तीसगढ़ से संविदा शिक्षक भर्ती समाप्त होकर पुन: शिक्षाकर्मी भर्ती का मार्ग प्रशस्त हुआ। 2002,03 और 2004 में नियुक्त समस्त संविदा शिक्षकों को 1मई 2005 को शिक्षाकर्मी पद पर नियुक्ति देते हुए संविदा प्रथा को बन्द किया गया। हालांकि जानकारों का मानना है कि संविदा शिक्षकों द्वारा 2004 के इस जबरदस्त आंदोलन को यदि उस समय तत्कालीन शिक्षाकर्मियों का साथ मिल जाता तो 2005 में ही संविदा के साथ शिक्षाकर्मी प्रथा भी खत्म हो जाती और सभी नियमित शिक्षक बन सकते थे, पर शासन हमेशा की तरह शिक्षाकर्मियों में फूट डालने में सफल रही और ऐसा नही हो सका और आज ये शिक्षाकर्मी मोर्चा बनाकर शासकीयकरण/संविलियन की मांग कर रहे हैं।
1 मई 2013 को ही मिला पुनरीक्षित वेतनमान की सौगात
प्रदेश के कर्मचारी आंदोलन में सबसे बड़े आंदोलन के रूप जाना जाने वाला शिक्षाकर्मियों का संघर्ष समिति के बैनर तले 38 दिनों के आंदोलन के परिणामस्वरूप 1 मई 2013 को शासकीय शिक्षकों के समतुल्य पुनरीक्षित वेतनमान की सौगात शासन ने शिक्षाकर्मियों को प्रदान की। जिससे शिक्षाकर्मियों के वेतनमान में सम्मानजनक वृध्दि हुई। इन दो बड़े उपलब्धियों की वजह से शिक्षाकर्मियों के लिए 1 मई की तिथि बहुत भाग्यशाली है।
एक मई के इस लकी दिन के विषय मे पूछने पर शिक्षक पंचायत ननि के प्रांतीय संचालक वीरेन्द्र दुबे ने कहा कि निश्चित रूप से 1 मई शिक्षाकर्मियों के लिए अब तक बड़ी सौगात लेकर आया है। आगामी 1 मई को शासन ऐतिहासिक दिन के रूप में परिणित कर सकती है, यदि मुख्यमंत्री हम एक लाख 80 हजार शिक्षाकर्मियों का मूल विभाग में संविलियन/शासकीयकरण कर दे। प्रान्तीय उपसंचालक जितेन्द्र शर्मा ने भी मांग की है कि अब छत्तीसगढ़ के युवाओं को उज्ज्वल भविष्य की दरकार है, उनकी शिक्षा को सही मुकाम-सही दाम और सुरक्षित भविष्य मिले इसके लिए जरूरी है कि समस्त शिक्षाकर्मियों का संविलियन/शासकीयकरण करते हुए प्रदेश में शिक्षाकर्मी,विद्यामितान जैसी व्यवस्था का अंत करते हुए नियमित पदों पर भर्तियां प्रारम्भ किया जावे।
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