रायपुर। क्या एक मई शिक्षाकर्मियों के लकी है। इससे पहले भी शिक्षाकर्मियों को एक मई दिन सौगातें मिल चुकी है, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि इस बार भी एक मई को होने वाली बैठक में उन्हें संविलियन जैसा तोहफा मिल सकता है। आपकों बता दें सन् 2000 से पहले तक शिक्षाकर्मी थे, लेकिन उसके बाद यह प्रथा बंद कर दी गई और फिर पुराने नियम का लागू करते हुए संविदा शिक्षक में भर्ती होने लगी। जिसका शिक्षकर्मी संघ ने जबरदस्त विरोध किया था। करीब चार सालों तक चले कड़े संघर्ष के बाद के बात एक बार फिर सरकार ने अपना फैसला बदला और संविदा शिक्षक को बंद करके फिर सीधे शिक्षाकर्मियों में भर्ती शुरु की गई। आपको बता दें कि यह आदेश एक मई को जारी किया गया था।
चूंकि छत्तीसगढ़ से मध्यप्रदेश से अलग हुआ था, इसलिए यहां मध्यप्रदेश वाली परंपरा को लागू किया गया था, लेकिन छत्तीसगढ़ के शिक्षाकर्मियों के संघर्ष के बाद यह बदला। यह उनकी बड़़ी जीत मानी जा सकती है, क्योंकि आज भी एमपी में संविदा शिक्षक शुरु है और करीब चार साल नौकरी करने के बाद ही वहां शिक्षाकर्मी बनाया जाता है। ऐसे ही पुनरीक्षित वेतनमान की लंबी लड़ाई भी शिक्षाकर्मियों ने लड़ी थी और सरकार ने एक मई के दिन ही इस बात की घोषणा की थी अब शिक्षाकर्मियों को पुनरीक्षित वेतनमान मिलेगा। इससे यह तो साफ ही कि शिक्षाकर्मियों के लिए एक मई का दिन शुभ है और सरकार उन्हें बड़े तोहफे इसी दिन देती है, इस लिहाज से यह संभावना बनती है कि एक मई को सीएस के साथ होने वाली बैठक में शिक्षाकर्मियों को संविलियन की लंबित मांग पूरी हो जाएगी और सरकार ने उन्हें बड़ा तोहफा देगी।
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