दुनिया की करीब 95 फीसदी आबादी प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर है। प्रदूषण की वजह से दुनिया भर में होने वाली कुल मौतों में से करीब आधे भारत और चीन के लोग हैं। दुनिया में प्रदूषण से होने वाली मौतों का ऑकलन करने वाली रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। अमेरिका स्थित संस्था हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट ने ‘स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर-2018Ó में इसकी जानकारी दी है। 2016 में पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण से 60 लाख लोगों की असमय मौत हो गई, जिनमें से आधे लोग चीन और भारत के रहने वाले थे। रिपोर्ट के मुताबिक भारत और चीन में घरेलू वायु प्रदूषण का सामना करने वालों की संख्या भी सबसे ज्यादा रही. साल 2016 में ऐसे लोगों की संख्या भारत में 56 करोड़, जबकि चीन में 41 करोड़ थी। वायु प्रदूषण सेहत के लिए पर्यावरण संबंधी सबसे बड़ा जोखिम है और विश्वभर में होने वाले मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण है. स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर-2018 रिपोर्ट में भारत में प्रदूषण से होने वाली 25 फीसदी मौतों के लिए घरों के भीतर मौजूद वायु प्रदूषण को जिम्मेदार बताया गया है. चीन में यह आंकड़ा 20 फीसदी है.
यही नहीं, भारत में पीएम 2.5 की कुल मात्रा के 24 फीसदी हिस्से के लिए घरों में इस्तेमाल होने वाले जैव ईंधन को जिम्मेदार बताया गया है. अनुसंधान में पाया गया कि प्रदूषण का सबसे बुरा प्रभाव गरीब लोगों पर पड़ रहा है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2010 के बाद से भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे दक्षिण एशियाई देशों में वायु प्रदूषण की समस्या तेजी से बढ़ी है। अमेरिका में हैल्थ इफैक्ट्स इंस्टीट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं ने उपग्रह से प्राप्त नए डेटा का बारीकी से अध्ययन किया. इस डेटा के जरिये उन लोगों की संख्या का अनुमान लगाया गया जो डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) द्वारा वायु प्रदूषण के सुरक्षित माने जाने वाले स्तर से अधिक स्तर के प्रदूषण में सांस रहे हैं. रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला तथ्य भी सामने आया है कि सर्वाधिक प्रदूषण और सबसे कम प्रदूषण वाले देशों के बीच का अंतर भी तेजी से बढ़ रहा है. यह समस्या आगे और विकराल रूप ले सकती है।
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