छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: अफसरों की लापरवाही से 73 हजार किसानों को नहीं मिलेंगे राजीव न्याय योजना के 73 करोड़ रुपए… जानें वजह…

सरकार ने किसानों को फायदा देने के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना की शुरुआत तो की लेकिन अफसरों की लापरवाही के कारण करीब 73 हजार किसानों का पंजीयन ही नहीं हो पाया। अब पंजीयन की तिथि निकल चुकी है। यदि एक किसान के पास एक हेक्टेयर जमीन औसम मानी जाए तो न्यूनतम 10 हजार रुपए मिलते। इस हिसाब से 73 हजार किसानों को 73 करोड़ रुपए तो मिलते ही। सरकार इस मामले में सख्त है और उसने जांच कराने की बात कही है।

दरअसल, राजीव गांधी न्याय योजना के तहत धान, मक्का और गन्ना की खेती को छोड़कर 9 प्रकार के दलहन- तिलहन की खेती करने वाले प्रदेश के 1.45 लाख किसानों का सत्यापन किया गया था। लेकिन सिर्फ इसके आधे किसानों का ही सहकारी समितियों में पंजीयन हुआ है और उन्हें ही राजीव गांधी न्याय योजना के तहत प्रति हेक्टेयर दस हजार सहायता राशि दी जाएगी।



इस तरह करीब 73 हजार किसानों को पात्र होने के बाद भी इसका लाभ नहीं मिलेगा। हद तो यह है कि सरगुजा जिले के महज पांच और बिलासपुर के एक किसान को ही लाभ मिलेगा। जबकि सरगुजा में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों ने 21 हजार किसानों और बिलासपुर में 47 को इसके लिए सत्यापित किया था। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत उन किसानों को प्रोत्साहित करना था जो गन्ना, धान व मक्का की फसल छोड़कर दूसरी अन्य फसलों की खेती करते हैं, जिनमें मूंगफली, अरहर, उड़द, तिल, कोदो, कुटकी आदि हैं क्योंकि सरकार इन फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दे पाती है।

ऐसे में इन फसलों की खेती करने वाले किसानों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन राशि प्रति हेक्टेयर 10 हजार देने का प्लान है। इसके लिए नवंबर में गिरदावरी की ऑनलाइन रिपोर्ट के आधार पर किसानों से दस्तावेज लेकर उन फसलों का सत्यापन का जिम्मा आरईओ को दिया गया। उन्होंने दो माह तक सत्यापन का काम किया और इसके बाद किसानों ने पंजीयन के लिए वही दस्तावेज सोसाइटियों में जमा किए, लेकिन वहां लापरवाही के कारण प्रदेश भर के आरईओ द्वारा सत्यापित 1.45 लाख सत्यापित किसानों में से सिर्फ 72 हजार किसानों का पंजीयन हुआ है।

जानिए कहां कितने किसान पंजीयन से चूके
सरगुजा में 21047 का सत्यापन हुआ, लेकिन पंजीयन हुआ सिर्फ 5 का, सूरजपुर में 10437 का सत्यापन हुआ, लेकिन पंजीयन हुआ सिर्फ 628 का। कोरिया में 4844 किसानों का सत्यापन हुआ, लेकिन पंजीयन सिर्फ 969 का हुआ, कोंडागांव में 9604 का सत्यापन हुआ लेकिन पंजीयन सिर्फ 1220 का हुआ। जांजगीर में 1106 का सत्यापन हुआ लेकिन सिर्फ 37 ही पंजीकृत हो सके। हालांकि बेमेतरा, दुर्ग, महासमुंद जैसे कुछ जिले ऐसे भी हैं जहां सत्यापन हो चुके किसानों में से 90 फीसदी से ज्यादा पंजीयन हो गया।

इस तरह हुई सत्यापन और पंजीयन में लापरवाही
किसान ने किस फसल की खेती की है इसे जांचने के लिए आरईओ राजीव गांधी न्याय योजना की वेबसाइट लाॅगिन करते थे, जिसमें राजस्व विभाग की भुईया वेबसाइट जुड़ी थी, जिसमें खेत का प्लाट नंबर डालने पर गिरदावरी के आधार पर खेत में लगी फ़सल के बारे में बता देता था कि किसान ने धान, मक्का व गन्ना के अलावा और किन फसलों को लगाया है।



इसके बाद वे उन फसलों को योजना के तहत लाभ दिलाने आधार, बैंक खाता नंबर, प्लाट नंबर लेकर सत्यापित करते थे, सारा काम ऑनलाइन हुआ। इसके बाद उन्हीं दस्तावेजों को लेकर किसान सोसाइटी में जमा कर देते थे जहां सत्यापन के आधार पर ऑनलाइन पंजीयन करना था। कई समितियों में अधिकारियों, कर्मचारियों को आनलाइन काम कैसे करना यह समझ ही नहीं आया और पंजीयन का काम बहुत विलंब से शुरू किया।

इस संबंध में जिला सहकारी बैंक के प्रबंधक ने सभी कार्यपालन अधिकारियों को लिखा था और इसमें लापरवाही नहीं बरतने के निर्देश दिए थे, लेकिन इसमें लापरवाही हुई।



क्या है राजीव गांधी न्याय योजना
राजीव गांधी न्याय योजना की प्रोत्साहन नीति की घोषणा सरकार ने जून 2020 में की थी, तब किसान काफ़ी उत्साहित थे, लेकिन इसके बाद इसके क्रियान्वयन में बरती गई लापरवाही ने उनके उम्मीद पर पानी फेर दिया है।

अगर औसत एक किसान की एक हेक्टेयर फ़सल पर भी 10 हजार मिलते तो पंजीयन नहीं होने के बाद बचे 73 हजार किसानों को 73 करोड़ मिलते, लेकिन अब नहीं मिलेंगे। ऐसे में सरकार फिर से बाकी किसानों का पंजीयन का आदेश जारी कर सकती है।

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