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सामान्य सभा में सभापति ने दिए दिशा-निर्देश, मेयर ने पत्रकारों से पूछा कौन सी रिपोर्ट, कैसी जांच, कब दिए निर्देश… नेता प्रतिपक्ष ने कहा- ये सभापति का अपमान…

रायपुर. पिछले दो दिनों से रायपुर नगर निगम की सामान्य सभा की बैठक चल रही है. बैठक के दूसरे दिन शुक्रवार को महापौर के बयान पर प्रतिपक्ष ने निशाना साधा है. दरअसल, सभा से निकलने के बाद पत्रकारों ने मेयर से सभापति की ओर से दिए दिशा-निर्देश पर सवाल पूछा. इस पर मेयर पत्रकारों से उल्टा सवाल पूछते नजर आए.

सवाल- दो तीन मामलों में सभापति ने जांच कर रिपोर्ट मांगी है, वो कौन सा मामला है? और कब तक रिपोर्ट देनी है ?

 

महापौर का जवाब- जवाब क्या तीन मामलों में मतलब? कौन से तीन मामले ? कौन सी कमेटी ? कहां की कमेटी ? आप मुझे बताओ, किसकी जानकारी ? सभापति ने क्या निर्देश किए हैं ? आज निर्देश दिए है कि कब दिए हैं ? ऐसा बताओ ना कि दो दिन की कार्रवाई में. वॉटर ATM के लिए उन्होंने कहा है, दुकान के लिए कहा है. शायद कमेटी दो लोगों के लिए कहा है. जांच करके पूरा करेंगे

.ये गैर जिम्मेदाराना जवाब- नेता प्रतिपक्ष

 

इधर महापौर के बयान को लेकर नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे ने कहा कि ये महापौर की गंभीरता प्रकट करती है. उनके ये गैर जिम्मेदाराना जवाब है. अगर वो सदन में उपस्थित हैं सदन के नेता हैं, महापौर हैं, शहर के प्रथम नागरिक हैं, तो उनका दायित्व बनता है कि सभापति की बातों को ध्यान से सुनें. उनका कहना कि सभापति ने कौन से कमेटी बनायी है या तो सुनकर अनसुना कर रहे हैं. ये बहुत ही गैर जिम्मेदाराना बयान है. सदन में गंभीरता रखनी चाहिए. ये जनता से जुड़ा मामला है. जनता के हित से जुड़ा हुआ विषय रहता है. वो सभापति को भी हल्के में लेते हैं तो मैं कुछ नहीं कह सकती.

 

नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा कि ये सदन का अपमान है. रायपुर शहर की जनता का अपमान है. सभापति का अपमान है. यह पार्षदों का अपमान है. किसी सवाल पर सत्तापक्ष से जवाब नहीं आ रहा है. ऐसे में सभापति व्यवस्था दे रहे हैं, इसमें एक टीम बनाकर जानकारी दें. ऐसे में महापौर का कहना है कि कौन सी टीम, कौन सी समिति, तो ये बहुत ही बचकाना जवाब है.

सभापति प्रमोद दुबे ने बताया कि दो तीन विषय प्रमुख थे. जो मंगलम में दुकानों की अदला बदली का मामला था, सी माट के संबंध में निर्णय लिया जाना था, उसके संबंध में एक दिशा निर्देश दिया गया है. उसके अलावा दो तीन और विषय हैं जिसमें दिशा निर्देश देने की आवश्यकता थी, खासकर जहां अमृत के लिए जहां पाइप डली हुई है, उसमें जहां-जहां पर पाइप लाइन लीकेज है, जहां अंतिम छोर तक पानी नहीं जा रहा है और जहां दो नई टंकियां बनने की प्रस्ताव है, उस संबंध में अलग-अलग कमेटियां बनाई गई है. कुछ में एक महीने के अंदर, कुछ में तीन दिन के अंदर, कुछ में सात दिन के अंदर रिपोर्ट देने के लिए दिशा निर्देश दिया गया है. रिपोर्ट तत्काल सदन के अंदर देने के लिए तत्काल प्रावधानित किया गया है.

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