देश -विदेशस्लाइडर

इस मुस्लिम देश में भयावह आर्थिक संकट, मस्जिदों को लेकर क्यों उठ रहे सवाल?

आर्थिक संकट का सामना कर रहे मिस्र में महंगाई चरम पर है. मिस्र में खाने का सामान इतना महंगा हो गया है कि लोगों को सिर्फ तीन कट्टा चावल, दो बोतल दूध और एक बोतल तेल खरीदने की इजाजत है.

आर्थिक संकट और मूलभूत सुविधाओं के अभाव के बीच मिस्र के धार्मिक मंत्रालय (Ministry of Endowments) ने शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य मूलभूत सेवाओं की अत्यधिक जरूरत के बावजूद राष्ट्रपति अब्दुल फतेह अल सिसी के कार्यकाल में हजारों नई मस्जिदों का निर्माण किया है. सरकार के इस फैसले पर मिस्र के लोग सवाल उठा रहे हैं.

मिस्र सरकार द्वारा संचालित सेंट्रल एजेंसी फॉर पब्लिक मोबिलाइजेशन एंड स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, देश में महंगाई दर नवंबर 2021 की तुलना में नवंबर 2022 में 6.2% से बढ़कर 19.2% हो गई थी.

मध्य पूर्व देशों को कवर करने वाली एक अमेरिकी वेबसाइट के अनुसार, राजधानी काहिरा के अल-कुब्बाह जिले में रहने वाले 20 वर्षीय महमूद अब्दो (Mahmoud Abdo) का कहना है कि उसकी बालकनी से पांच अलग-अलग मस्जिदों से अजान की पुकार सुनी जा सकती है. अब्दो को यकीन नहीं आ रहा है कि देश की विकट आर्थिक स्थिति के बावजूद धार्मिक केंद्रों पर इतना खर्च करने की क्या जरूरत है.

मस्जिदों के निर्माण के लिए दान पेटी
अब्दो ने कहा, “हम अतीत में लोगों से सुना करते थे कि गरीब परिवारों के लिए आवश्यक धन को मस्जिदों पर नहीं खर्च करना चाहिए. जबकि अधिकांश मस्जिदों में मस्जिद के विकास या अन्य मानवीय कार्यों के लिए दान पेटी के माध्यम से चंदा लिए जाते हैं.

हालांकि, पिछले साल नवंबर में मिस्र के धार्मिक बंदोबस्ती मंत्रालय ने दान पेटियों के माध्यम से डोनेशन को रद्द कर दिया था. स्काई न्यूज अरेबिया के अनुसार, इसके बजाय यह निर्धारित किया गया था कि बैंक ट्रांसफर के माध्यम से सीधे मस्जिदों के खातों में दान किया जाना चाहिए.

Back to top button

Notice: ob_end_flush(): failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/gaganmittal/public_html/wp-includes/functions.php on line 5471