बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने तेंदूपत्ता नीलामी पर रोक लगा दी। हाईकोर्ट ने यह रोक संत कुमार नेताम की याचिका पर लगाई है। याचिका में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्रहण ठेके में करीब 300 करोड़ का भ्रष्टाचार होने की संभावना है।
आपको बता दें कि हाईकोर्ट ने तेंदूपत्ता नीलामी में गड़बड़ी को लेकर पेश याचिका में 165 ठेकेदारों को नोटिस जारी किया गया था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने सवाल उठाया कि हर बार चुनावी वर्ष में ही क्यों रेट कम होता है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष आधे रेट पर तेंदूपत्ता नीलाम किए जाने के खिलाफ संतकुमार नेताम व अमरनाथ अग्रवाल ने हाईकोर्ट में अलग-अलग जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि तेंदूपत्ता कम दर पर बेचे जाने के कारण 280 से 300 करोड़ के राजस्व का नुकसान हो रहा है। इसका सीधा असर तेंदूपत्ता संग्राहकों के परिवार पर पड़ेगा।
याचिकाकर्ता की ओर से प्रस्तुत आंकड़े के अनुसार वर्ष 2007 में 518 ठेकेदारों ने ठेका प्राप्त किया। इससे 325.59 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त हुआ। 2008 में ठेकेदारों की संख्या घट कर 289 हो गई और 197.62 करोड़ रुपये प्राप्त हुआ। 2009 में ठेकेदारों की संख्या 401 हो गई और 256.42 करोड़ रुपये प्राप्त हुआ। 2010 में 435 ठेकेदारों से 335.30 करोड़ रुपये, 2011 में 359 ठेकेदारों से 355.31 करोड़ रुपये, 2012 में 392 ठेकेदारों से 646.91 करोड़ रुपये, 2013 में 149 ठेकेदारों से 352.13 करोड़ रुपये, 2014 में 104 ठेकेदारों से 334.75 करोड़ रुपये, 2015 में 161 ठेकेदारों से 345.50 करोड़ रुपये, 2016 में 291 ठेकेदारों से 638.89 करोड़ रुपये, 2017 में 302 ठेकेदारों से 1358.85 करोड़ रुपये प्राप्त हुआ था। वहीं 2018 में 138 ठेकेदारों से 730.34 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है।
यह भी देखे – नक्सली फरमान से डरे हुए हैं तेंदूपत्ता संग्राहक, संग्रहण करने नहीं आ रहे सामने
Add Comment