जगदलपुर। विगत एक माह से लगातार हो रहे नक्सल वारदातों और नक्सली फरमान के चलते तेंदूपत्ता संग्राहक सहमे नजर आ रहें हैं। खबर यह भी है कि तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए नक्सलियों ने एक फरमान जारी किया है जिसमें तेंदूपत्ता संग्रहण न करने की धमकी दी गई है। इससे तेंदूपत्ता संग्राहक सहमे हुए है।
बस्तर इलाके के गांव-गांव में तेंदूपत्ता संग्रहण का काम ग्रामीण करते हैं और तेंदूपत्ता संग्रहण के द्वारा उन्हें प्रति सीजन में अच्छी आय भी प्राप्त होती है। लेकिन इस वर्ष संग्रहण के लिये सीजन 10-15 दिनों के बाद ही शुरू हो जाएगा। अभी तक नक्सलियों के भय से ग्रामीण संग्रहण के लिये सामने नहीं आ रहे हैं।
नक्सलियों ने ग्रामीणों को स्पष्ट किया है कि इस वर्ष तेंदूपत्ता संग्रहण के लिये कोई सामने नहीं आये यदि तेंदूपत्ता का संग्रहण कर लिया जाता है तो उसे विभागीय तौर पर बेचने के लिये नहीं दे। इसका परिणाम यह हुआ है कि प्रतिवर्ष के भांति ग्रामीण तेंदूपत्ता संग्रहित कर वनोपज समितियों को देते थे और आय प्राप्त करते थे। लेकिन नक्सलियों के इस आदेश से तेंदूपत्ता तोडऩे के कार्य से वे डर रहे हैं। बस्तर के दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर और अन्य स्थानों पर 116 तेंदूपत्ता लाटों की नीलामी होनी थी और मूल्य भी इसके बढ़ाये गये थे। लेकिन गत वर्ष केवल 60 लाट ही बिक पाये ओर शेष लाट विक्रय के लिये विभागीय तौर पर कोशिशें जारी हैं। परंतु इसकी खरीद करने के लिये और नीलामी में भाग लेने के लिये कोई ठेकेदार सामने नहीं आ रहें।
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