रायपुर। पोलावरम मामले में मंगलवार को जनता कांग्रेस के अमित जोगी ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि श्री साय कहते हैं कि आदिवासियों को विस्थापित तब तक नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि कोई वैकल्पिक व्यवस्था न हो जाए। वो हीराकुंड बांध का उदहारण भी देते हैं और कहते हैं कि उस दौरान बेघर हुए आदिवासियों का आज तक कोई अता पता नहीं चला। पोलावरम विरोधी ब्यान के लगभग ढाई महीने बाद 30 मार्च को नंदकुमार साय आंध्रप्रदेश के पोलावरम जाते हैं, वहां अधिकारियों और मंत्रियों से मिलते हैं और साथ ही सत्तर हजार करोड़ की इस पोलावरम परियोजना को बना रहे कॉन्ट्रैक्टरों से भी मिलते हैं। उनसे चर्चा करते हैं। अब सवाल ये उठता है कि, ढाई महीने पहले नंदकुमार साय आदिवासियों के विस्थापन की कोई व्यवस्था नहीं होने की बात कर रहे थे और पोलावरम का विरोध कर रहे थे और फिर ढाई महीने बाद आंध्रप्रदेश जाकर कहते हैं कि पोलावरम विश्व का सर्वश्रेष्ठ प्रोजेक्ट है, पोलावरम सुंदर है।
यही नहीं, नंदकुमार साय अपनी संतुष्टि व्यक्त करते हुए प्रभावित आदिवासियों के प्रसन्न होने के दावे करते हैं। यानी वे छत्तीसगढ़ की ढाई करोड़ जनता विशेषकर सुकमा कोंटा के प्रभावित लोग तो व्यर्थ में ही विरोध कर रहे हैं। झूठ बोलकर भ्रमित कर रहे हैं। राष्ट्रीय जनजाति आयोग का काम भारत में निवासरत विभिन्न जनजातियों के हितों और अधिकारों की रक्षा करना है, न की किसी प्रोजेक्ट को विश्व का सर्वश्रेष्ठ होने का सर्टिफिकेट देना। अमित जोगी ने कहा कि मैं कोई हवा में आरोप नहीं लगा रहा हूँ बल्कि पूरी प्रमाणिकता के साथ राष्ट्रीय जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय के दोहरे चरित्र छत्तीसगढ़ और देश की जनता के समक्ष उजागर कर रहा हूँ। मारवाही विधायक ने नंदकुमार साय से पांच सवाल भी पूछे हैं। 30 मार्च 2018 को आंध्र प्रदेश में ऐसा क्या हुआ जिसके बाद पोलावरम को लेकर आपके सुर ही बदल गए ? ढाई महीने पहले विस्थापन पर संशय व्यक्त किया था और ढाई महीने बाद अचानक संतुष्टि ?
आप सुकमा और कोंटा जाकर अब तक छत्तीसगढ़ के प्रभावितों से क्यों नहीं मिले ? बिना सुकमा और कोंटा गए, बिना प्रभावित आदिवासियों से मिले, आपने आंध्र जाकर आखिर किस आधार पर यह वक्तव्य दिया। संविधान के अनुच्छेद 338क के खण्ड (5) के उपखण्ड (क) में निर्दिष्ट किसी विषय का अन्वेषण या उपखण्ड (ख) में निर्दिष्ट किसी शिकायत की जाचं करते समय राष्ट्रीयजनजाति आयोग को एक सिविल न्यायालय की शक्तियाँ प्राप्त हैं। आपने बगैर सुकमा और कोंटा गए,बिना प्रभावितों से वार्तालाप किये, बिना किसी साक्ष्य के या दस्तावेजों के, किस आधार पर पोलावरम के पक्ष में यह सार्वजनिक वक्तव्य दिया। आंध्राप्रदेश में कहा कि पोलावरम बाँध से सभी राज्य लाभान्वित होंगे ? छत्तीसगढ़ कैसे लाभान्वित होगा, ये बताईये ? क्या आंध्रा प्रदेश, बाँध की ऊंचाई कम करने राजी हो गया है ? मुआवजे की रकम किस आधार पर तय हुई है ? क्या छत्तीसगढ़ में जन सुनवाई पूरी और विधिवत हो चुकी है ?
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