रायपर। संविलियन की मांग को लेकर शिक्षाकर्मियों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के छत्तीसगढ़ आगमन पर समय मांगा है। शिक्षक पंचायत ननि मोर्चा के प्रदेश संचालक विरेन्द्र दुबे ने बताया कि प्रदेश के पौने दो लाख शिक्षक विगत सत्रह वर्षो से संविलियन की मांग लो लेकर समय समय पर निवेदन, ज्ञापन एवं धरना प्रदर्शन के माध्यम से करते आ रहे हैं, पर शासन संविलियन के संबंध में कोई भी ठोस निर्णय नहीं ले रही है। वर्तमान सरकार विपक्ष में रहते हुए अपने संकल्प पत्र में शिक्षकों की मांगों को सत्ता में आते ही पूर्ण करने का संकल्प लिया था, साथ ही शिक्षकों के हर मंच में आकर संविलियन करने का वादा किया था।
पिछले वर्ष संविलियन के मांग को लेकर प्रदेश के शिक्षक आंदोलन कर चुके हैं। रायपुर में आंदोलन के दौरान पदाधिकारियों को बिना अपराध आधी रात को उनके घर से अपराधियों के भांति उठा कर जेल में डाल दिया गया, शांति पूर्वक धरना करने के लिए स्थल प्रदान नहीं किया गया , पूरे शहर की पुलिस को शिक्षकों के पीछे लगा दिया गया था। प्रदर्शन करने पहुंचे शिक्षकों को रास्ते में ही गिरफ्तार कर लिया जाता, सड़कों में दौड़ा दौड़ा के डंडे बरसाए, छोटे-छोटे बच्चों पर ही रहम नहीं किया, सड़को में गिरते कभी नालियों में गिरते शिक्षकों पर भी डंडे बरसाए गए। गलियों में घुस घुस कर शिक्षकों को पकड़ा गया, पूरी तरह से तानाशाही रवैये में उतरी शासन ने शिक्षकों को अपराधियों की तरह व्यवहार किया।
शिक्षक मोर्चा ने छात्र हित का ध्यान में रखते हुए शिक्षकों ने हड़ताल स्थगित किया। शासन ने तीन माह की कमिटी के निर्माण किया परन्तु कमिटी की अवधि 2 माह के लिए बढ़ा दिया जिसकी रिपोर्ट आने की संभावना धूमिल सी हो गई है। शासन में यदि इच्छा शक्ति होती तो इस संवेदनशील मुद्दे पर त्वरित निर्णय ले लेती लेकिन कमिटी की समय सीमा में वृद्धि करना कही न कही संविलियन के मुद्दे को टालने के प्रयास कर रही है।
प्रांतीय उप संचालक धर्मेश शर्मा ने जानकारी देते हुए कहा कि आगामी 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ दौरे पर आ रहे हंै। संविलियन के मुद्दे पर चर्चा करने हेतु मोर्चा प्रधानमंत्री से मिलने हेतु प्रधानमंत्री कार्यालय दिल्ली को पत्र लिख कर समय मांगा गया है।
प्रान्तीय उपसंचालक जितेन्द्र शर्मा ने कहा कि मोर्चा शिक्षाकर्मी के हितों की रक्षा के लिए संकल्पित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, देश के गलत नीतियों के विरोधी माने जाते हैं और क्रांतिकारी फैसलों पर विश्वास करते हैं तो मोर्चा और प्रदेश के सारे शिक्षाकर्मी प्रधानमंत्री जी से निवेदन करते हैं, कि शिक्षा और शिक्षक जैसे मानव विकास के महत्वपूर्ण अंग की उपेक्षा और दुर्दशा से बचायें, शिक्षक और शिक्षाकर्मी के दोहरे मापदंड से मुक्ति दिलायें। पैराशिक्षकवाद समाप्त कर शिक्षक के सम्मान को पुन: लौटाएं।
यह भी देखे – शिक्षाकर्मियों में मुंडन को लेकर विवाद, संघ ने कहा- सस्ती लोकप्रियता हासिल करने अध्यक्ष पर लगाए झूठे आरोप..
Add Comment