केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने साल 2024 के आम चुनाव का सबसे बड़ा एजेंडा सेट कर दिया है. हो सकता है कि आपके दिमाग में वो मुद्दा राम मंदिर का हो, जो अगले साल जनवरी में दर्शनों के लिए खोल दिया जाएगा. लेकिन, राम मंदिर नहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने Uniform Civil Code यानी समान नागरिक संहिता को लागू करना, अपना सबसे बड़ा मुद्दा बताया है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जनसंघ के जमाने से ही भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा से जुड़े 3 सबसे बड़े मुद्दे रहे हैं.
भारतीय जनता पार्टी के 3 सबसे बड़े मुद्दे
पहला मुद्दा- राम मंदिर निर्माण. इसके लिए बीजेपी ने एक लंबी लड़ाई लड़ी. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और यहीं से राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया. एक तरह से बीजेपी को अपने पहली वैचारिक मुद्दे पर जीत हासिल की.
दूसरा मुद्दा- इसी तरह से बीजेपी के लिए दूसरा मुद्दा कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया जाना था. जनसंघ के जमाने से ही इसका विरोध लगातार होता आया और आखिरकार 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया.
तीसरा मुद्दा- बीजेपी के लिए तीसरा सबसे बड़ा मुद्दा देश में समान नागरिक संहिता लागू होना है. यानी कुछ ऐसे नियमों का बनाया जाना, जो हर धर्म, वर्ग और जाति पर समान रूप से लागू हो. इस दिशा में अब बीजेपी ने काम करना शुरू कर दिया है.
अमित शाह ने अब खुलकर कह दी ये बात
गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने इसको लेकर इशारों-इशारों में तो कई बार कहा है, लेकिन पहली बार शाह ने कोल्हापुर में एक मंच से ये कह दिया कि देश में बीजेपी शासित राज्य UCC की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. अमित शाह का ये कहना, देश के कट्टरपंथियों और UCC का विरोध करने वालों को मिर्ची की तरह लगा है. अमित शाह ने डंके की चोट पर कहा कि जिन मुद्दों को लेकर जनता से वादे किए, वो वादे पूरे किए गए. अनुच्छेद 370 हटाना या ट्रिपल तलाक खत्म करना जैसे फैसलों पर सरकार को बहुत विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन ये फैसले लिए गए. अब यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने की बात की जा रही है. अमित शाह भी दावा कर रहे हैं कि बीजेपी शासित राज्य इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. तो माना जा रहा है कि वर्ष 2024 के आम चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा यही रहने वाला है.
UCC को लेकर BJP पहले ही ले चुकी है कई फैसले
अगर हम देखें तो UCC को लेकर बीजेपी पहले से ही कई फैसले ले चुकी है. इसमें ट्रिपल तलाक एक बड़ा मुद्दा रहा, जिसमें मुस्लिम महिलाओं को मौखिक रूप से तीन बार तलाक बोल देने से तलाक नहीं माना जा रहा है. पहले ऐसा नहीं था. इस कदम को UCC के साथ जोड़कर देखा जा सकता है, क्योंकि तलाक के मामले में अब सभी धर्म और जातियों के लिए एक तरह का कानून है. इसी तरह से बीजेपी ने शादी की उम्र को लेकर भी एक ऐसा फैसला लिया, जिसको UCC के प्रयोग के तौर पर देखा जा रहा है. बीजेपी सरकार ने शादी की उम्र को सभी धर्मों के लड़के-लड़कियों को एक समान यानी 21 वर्ष कर दी है. पहले ऐसा नहीं था. तो एक तरह से UCC बनाना और लागू करने से पहले प्रयोग के तौर पर कुछ नियमों को लागू कर दिया गया है.
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