आपने सुना होगा कि फालने अधिकारी को सस्पेंड कर दिया है. कई बार सुना होगा कि डॉक्यूमेंट फर्जी पाए जाने पर डिपार्टमेंट ने किसी कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया है. ये दोनों चीजें बिलकुल अलग अलग हैं. दोनों में नौकरी तो जाती है लेकिन एक पेंच है. आज हम आपको ऐसी ही जानकारी देने जा रहे हैं कैसे ये सब एक दूसरे से बिलकुल अलग है. अगर इनमें से कोई भी कार्रवाई किसी भी कर्मचारी पर होती है तो उसका क्या असर पड़ता है.
तो चलिए पहले इस लिस्ट को थोड़ा सा छोटा कर लेते हैं. सबसे पहले निलंबित से शुरू करते हैं. निलंबित हिंदी का शब्द है जब इसका इस्तेमाल इंग्लिश में होता है तो यह सस्पेंड बन जाता है. मतलब निलंबित को अंग्रेजी में सस्पेंड कहते हैं. इन दोनों का मतलब एक ही होता है. ठीक वैसे ही बर्खास्त हिंदी का शब्द है और इंग्लिश में इसे टर्मिनेट या डिसमिस भी कहते हैं. मतलब बर्खास्त, टर्मिनेट और डिसमिस का एक ही मतलब होता है.
अब बात करते हैं कि अगर किसी को निलंबित किया जाता है तो इसका मतलब है कि कर्मचारी को आधी सैलरी मिलती रहेगी. किसी को सस्पेंड कुछ दिनों या महीने के लिए किया जाता है. सस्पेंड होने का यह मतलब बिलकुल नहीं है कि नौकरी चली गई. सस्पेंड करने का अधिकार अपने विभाग के खुद से बड़े अफसर या ऊपर के अफसरों के पास होता है. सस्पेंशन का समय पूरा होने पर नौकरी वापस मिल जाती है.
बर्खास्त या डिसमिस की बात करें तो इसका मतलब होता है कि कर्मचारी को सैलरी नहीं मिलेगी और न ही कोई दूसरी सुविधाएं दी जाएंगी. इसके साथ ही पीएफ भी नहीं दिया जाएगा. इस दौरान कर्मचारी को सिर्फ ग्रेचुएटी ही मिलती है.
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