फिर मुस्कुराया बचपन, दूर होने लगा कुपोषण ।

आज के बच्चे, कल के भविष्य है। यदि बच्चे कुपोषित होंगे तो उनके असामयिक बीमारी और मृत्यु की संभावना बनी रहेगी। बच्चे स्वस्थ होंगे तो सुनहरा भविष्य गढ़ेंगे। कुछ ऐसी ही सोच के साथ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्रदेशव्यापी कुपोषण मुक्ति का अभियान शुरू किया है। उनका प्रयास है कि कुपोषित बच्चों तथा एनीमिक महिलाओं को गरम पौष्टिक आहार मिले, जिससे उनका स्वास्थ्य बेहतर हो और छत्तीसगढ़ से कुपोषण दूर हो। इस दिशा में प्रयास करते हुए जहां मुख्यमंत्री सुपोषण योजना शुरू की गई है, वहीं पोषण पुनर्वास केंद्रों की सुविधाएं बढ़ाने के भी प्रयास किए जा रहे हैं।

इसका परिणाम है कि वजन त्यौहार के अनुसार पिछले चार सालों में कुपोषण की दर में 5.61 प्रतिशत की कमी दिखाई दी है। वर्ष 2019 में बच्चों में कुपोषण की दर 23.37 प्रतिशत थी, वह 2022 में घटकर  17.76 प्रतिशत पर आ गई है। लगभग 02 लाख 11 हजार बच्चे कुपोषण के चक्र से बाहर आ गए हैं। यहां कुपोषण के शिकार बच्चों को अच्छी खुराक, देखभाल और चिकित्सा दी जा रही है। इससे उनका बचपन फिर से मुस्कुराने लगा है।

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