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सास-ससुर और पति ने मिलकर बहू के साथ कराया ऐसा गलत काम… विवाहिता ने अपहरण और पांच दिन तक गैंगरेप कराने का लगाया आरोप…

मुरैना में एक विवाहिता ने दो महीने पहले की एक घटना का अब खुलासा किया है जिसमें उसने अपने ससुर और पति पर अपहरण और पांच दिन तक गैंगरेप कराने के गंभीर आरोप लगाए हैं। हालांकि युवती की मां द्वारा तब न्यायालय की शरण ली गई थी और अदालत के आदेश पर पुलिस ने युवती को मुक्त करा दिया था और पुलिस का कहना है कि तब न युवती और न ही उसकी मां ने इस तरह की घटना के बारे में कोई बयान दिए थे।

पीड़िता ने मीडिया को बताया है कि मुरैना जिले के बानमोर थाना क्षेत्र में उसका डेढ़ साल पहले उसकी शादी हुई थी लेकिन शुरू से ही ससुर की उस पर बुरी नीयत थी। इस बारे में उसने पति को भी बताया था, मगर उसने अनसुना कर दिया था। इस कारण वह छह महीने से अपने मायके में रह रही थी। इस बीच उसकी मां के घर 25 अगस्त को करीब एक दर्जन हथियारबंद लोग आए और वे जबरदस्ती उसे उठाकर गाड़ी में ले गए।

पांच दिन बीहड़ में रखकर दुष्कर्म
पीड़िता की मां कहना है कि उसी समय पुलिस को सूचना दी लेकिन न तो थाने में सुनवाई हुई और जिले के पुलिस अफसरों ने ही सुना। पीड़िता ने कहा कि गाड़ी में पटक कर ले जाने के बाद उसे देवगढ़ इलाके के तुस्सीपुरा गांव में सभाराम गुर्जर के घर से कंधे पर लादकर चंबल के बीहड़ में ले जाया गया।

पीड़िता का कहना है कि सभाराम के साथ उसका भतीजा धर्मेन्द्र गुर्जर, रामवीर गुर्जर, किलेदार गुर्जर,श्यामवीर गुर्जर, भबूति गुर्जर के भाई के लडक़े और अन्य लोग भी थे। बीहड़ में उसके साथ पांच दिन तक दुष्कर्म किया गया। बीहड़ में उसे एक मंदिर में रखा गया। पांच दिन बाद तुस्सीपुरा गाँव में दो महीने तक अलग-अलग घर में रखा गया। वहां भी उसके साथ दुष्कर्म किया जाता रहा।

थाने से लेकर अधिकारियों के कई चक्कर लगाए, कहीं नहीं हुई सुनवाई

पीड़िता की मां ने कहा कि उसने थाने में घटना की तारीख से लेकर अदालत में जाने तक कई बार चक्कर लगाए लेकिन सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने बानमोर थाना प्रभारी योगेंद्र यादव पर 50 हजार लेने का भी आरोप लगाया लेकिन बेटी को मुक्त नहीं कराए जाने पर अदालत में गई थीं। अदालत के माध्यम से बेटी को अपह्रत लोगों से मुक्त कराया। वहीं, इस मामले में एएसपी रायसिंह नरवरिया ने पीड़िता के आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि अदालत के आदेश पर युवती को बरामद कर उसकी मां को सौंपा गया था। तब इस तरह के कोई भी बयान नहीं दिए गए थे।

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