कलश स्थापना के साथ नवरात्रि का पर्व शुरू हो चुका है. मां दुर्गा को समर्पित ये नौ दिवसीय पर्व 05 अक्टूबर 2022 तक चलेगा. इन 9 दिनों मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा-आराधना के साथ उपवास रखा जाएगा. कहते हैं नवरात्रि में जो भी भक्त मां देवी की सच्ची श्रद्धा से उपासना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. नवरात्रि में कलश स्थापना, व्रत धारण करना और हर रोज मां दुर्गा की पूजा करने का विधान है. उसी तरह नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने का भी विशेष महत्व होता है. पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि मां दुर्गा के समक्ष अखंड ज्योति जलाने के विशेष नियम होते हैं.
नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने के नियम
ज्योतिषियों के अनुसार, नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने के बिना माता की पूजा अधूरी मानी जाती है. अखंड ज्योति गाय के शुद्ध देसी घी में जलाने से सौभाग्य, सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. वहीं तिल के तेल में अंखड ज्योति जलाने से शनि का कुप्रभाव दूर होता है.
अखंड ज्योति की लौ बायीं से दायीं तरफ होनी चाहिए. अखंड ज्योति जलाने के बाद घर को सूना नहीं छोड़ना चाहिए. इस बात का ध्यान रखें कि अखंड ज्योति से कोई दूसरी ज्योति नहीं जलानी चाहिए. ऐसा करना अशुभ होता है और ना ही ज्योति की बत्ती को बार-बार बदलना चाहिए.
इस मंत्र का करें उच्चारण
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने के समय विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए. यह मंत्र है- ओम जयंती मंगला काली भद्रकाली कृपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते.
इस मंत्र के जाप के बिना अखंड ज्योति जलाना अशुभ माना जाता है. इस मंत्र से मां दुर्गा देवी प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा परिवार पर हमेशा बनी रहती है. घर में नकारात्मक शक्तियां नष्ट होती हैं और सुख-समृद्धि और शांति का वास रहता है.
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