नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बालिग प्रेमी जोड़े को शादी से रोकना पूरी तरह से गैरकानूनी करार दिया है। कोर्ट ने खाप पंचायतों द्वारा ऑनर किलिंग पर मंगलवार को एक बड़ा फैसला सुनाया है।
देश के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खान विल्कर एवं न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड की पीठ ने कहा कि संसद द्वारा उचित कानून ना बनाए जाने तक ये दिशा निर्देश लागू रहेंगे। शीर्ष न्यायालय ने एनजीओ शक्ति वाहिनी की याचिका पर यह आदेश दिया। एनजीओ ने प्रेमी जोड़ों की ऑनर किलिंग से रक्षा करने की मांग करते हुए वर्ष 2011 में कोर्ट का रुख किया था।
इस मसले पर पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जाति, पंथ या धर्म कोई भी हो, अगर दो वयस्कों ने विवाह करने का निर्णय लिया है तो कोई तीसरा पक्ष इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता। 7 मार्च को केंद्र सरकार ने एनजीओ की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि वह ‘ऑनर किलिंग’ (तथाकथित सम्मान के नाम पर हत्या) को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में लाने वाला एक कानून लाने जा रहा है जिससे तत्काल पुलिस कार्रवाई हो और दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामला तुरंत शुरू हो सके।
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