छत्तीसगढ़

आमजन को मिलेगी राहत… प्रदेश के 13 प्रमुख शहरों में नक्शे-लेआउट अबनगर निगम से, नहीं जाना होगा टाउन प्लानिंग में…

छत्तीसगढ़ में राजधानी रायपुर समेत 13 शहरों में लेआउट-नक्शों का अधिकार पूरी तरह नगर निगमों को सौंप दिया गया है। अब तक लेआउट पास करने के लिए ग्राम तथा नगर निवेश विभाग (टाउन प्लानिंग) से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) जरूरी होता था, लेकिन अब इस एनओसी के लिए हर नगर निगम में एक अलग अफसर तैनात किया जाएगा।

वह एनओसी संबंधित कार्रवाई निगम में ही करेगा, ऐसे में लेआउट के लिए टाउन प्लानिंग की जरूरत खत्म कर दी गई। एक बार आवेदन जमा करने के बाद लेआउट नियमानुसार इन शहरों में नगर निगम से ही पास हो जाएगा। कुछ दिन पहले सीएम भूपेश बघेल ने इसकी घोषणा की थी।

आवास एवं पर्यावरण विभाग ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है। टाउन प्लानिंग ने जो अधिकार नगर निगमों को दिया है, उसका क्रियान्वयन भी उसी स्तर और शैक्षणिक योग्यता वाले अधिकारी से कराया जा सकता है जो पहले वह काम कर रहे थे।

इसका मतलब है कि संबंधित नगर निगमों को ले-आउट अनुमोदन के लिए अनिवार्य रूप से टाउन प्लानर की नियुक्ति करनी होगी। अधिसूचना में साफ तौर पर कहा गया है, ले-आउट की अनुमति जारी करने में छत्तीसगढ़ नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम, छत्तीसगढ़ भूमि विकास अधिनियम, छत्तीसगढ़ नगर तथा ग्राम निवेश नियम और विकास योजना के मापदण्डों का उल्लंघन हुआ या अतिक्रमण हुआ तो उसके लिए संबंधित नगर निगम जिम्मेदार होंगे।

लाइसेंस परीक्षण टाउन प्लानिंग को
बताया जा रहा है कि स्वीकृत अनुज्ञा के भौतिक परीक्षण एवं पुनर्विलोकन (रीव्यू) का अधिकार नगर तथा ग्राम निवेश के अधिकारियों के पास होगा। इसी तरह छत्तीसगढ़ नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम की धाराओं के तहत राजस्व, शुल्क तथा शास्ति राशि अधिनियम में उल्लेखित मद के अंतर्गत जमा कराना होगा।

इसलिए किया फैसला
क्योंकि एक ही काम को दो दफ्तर कर रहे थे। इससे आवेदकों को भी परेशानी हो रही थी और काम में भी देरी हो रही थी। इसके अलावा लालफीताशाही और भ्रष्टाचार की शिकायतें थीं। दफ्तरों में समन्वय की समस्या भी रहती थी, फाइल तलाशनी पड़ती थी। दोनों दफ्तरों से अनुमोदन तक आवेदक भटकते रहते थे। अब इसमें कमी आएगी।

टाउन प्लानिंग से कार्येत्तर मंजूरी जरूरी
लेआउट का अधिकार नगर निगमों को मिल जाने के बाद भी टाउन प्लानिंग विभाग की भूमिका खत्म नहीं होगी। विकास अनुज्ञा के अनुमोदन के एक महीने के भीतर सभी ले-आउट संबंधित जिले के नगर तथा ग्राम निवेश विभाग के अधिकारियों से कार्योत्तर स्वीकृति लेनी होगी। स्वीकृत की जाने वाली विकास अनुज्ञा को नगर तथा ग्राम निवेश विभाग के वेबसाइट पर अपलोड करना होगा। उसके साथ-साथ स्वीकृत अनुज्ञा की प्रति नगर तथा ग्राम निवेश के कार्यालय में भी जमा कराना होगा।

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