रायपुर। राज्य के कोल ब्लॉकों के नाम जरूर सार्वजनिक क्षेत्रों की कंपनियों के नाम पर हैं, लेकिन खदानों की असली मिल्कियत अडानी कंपनियों के पास है। प्रदेश में कुल 88 मिलियन टन प्रतिवर्ष कोयला निकालने का काम या तो अडानी के पास पहुंच चुका है या फिर इसकी तैयारी अंतिम चरणों में है।
कांग्रेस भवन में एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए पीसीसी चीफ भूपेश बघेल ने सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि राज्यहित को ताक में रखते हुए प्रदेश के मुखिया और राज्य सरकार ने अडानी कंपनी को लाभ पहुंचाने तमाम नियम-कानूनों को ताक में रखते हुए काम किया है। अडानी कंपनी स्वयं दावा कर रही है कि अगले एक दशक में उनका कोयला उत्पादन 150 मिलियन टन हो जाएगा, यानी वह एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोल फिल्ड लिमिटेड) से भी आगे निकल जाएगी। राज्य की भाजपा सरकार की कोशिश है कि इसकी जानकारी सार्वजनिक न हो पाए। अडानी को कोल खदानें कैसे मिल रही हैं, इस संबंध में सूचना के अधिकार में जानकारी मांगने पर भी नहीं दी जा रही है। इसका सीधा मतलब है कि कुछ तो बात है जिसे राज्य सरकार भी छिपा रही है। छत्तीसगढ़ स्टेट पावर कंपनी लिमिटेड को गारे-3 कोल ब्लॉक आबंटित हुआ है, इसके बाद इस खदान को चलाने और कोयला बेचने का ठेका अडानी की कंपनी को दिया गया है। श्री बघेल ने कहा कि सूचना तो यह भी है कि छत्तीसगढ़ स्टेट पावर कंपनी लिमिटेड को बाजार से भी महंगी कीमत पर कोयला खरीदना पड़ रहा है, जबकि कोयला खुद छत्तीसगढ़ का है।
श्री बघेल ने सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि जब केन्द्र की यूपीए सरकार ने गारे-2 कोल ब्लॉक महाराष्ट्र और तमिलनाडु सरकार को देने का फैसला किया था, तब रमन सिंह ने इसका जमकर विरोध किया था और कहा था कि केन्द्र सरकार प्रदेश की उपेक्षा कर रहा है। अब केन्द्र में भाजपा की सरकार है तो यही खदाने गुजरात और महाराष्ट्र को देने का फैसला किया है, अब राज्य के मुखिया डा. रमन सिंह इसका विरोध क्यों नहीं कर रहे हैं। उल्टे इन खदानों में अडानी को घुसाने का पुख्ता इंतजाम भी करके दे दिया है। मोदी सरकार आने के बाद किसी भी कोल ब्लॉक की नीलामी नहीं हुई है और सरकार ने भाजपा शासित राज्यों के खदानों का आवंटन कर दिया।
श्री बघेल ने आरोप लगाते हुए कहा कि परसा ईस्ट केतेवासन जिसे राजस्थान विद्युत उत्पादन लिमिटेड को दिया गया है इसका एमडीओ अडानी के पास है। इसके अलावा परसा कोल ब्लॉक, केते एक्सटेंशन, गारे पेलमा-1, गारे पेलमा-2, गारे पेलमा-3, के एमडीओ भी अडानी के पास हैं, इससे समझा जा सकता है कि राज्य सरकार अडानी को उपकृत करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।
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