इंसान ने अपनी लाइफ को आसान बनाने के लिए तकनीक की मदद ली. कई तरह की टेक्नोलॉजी के आने की वजह से इंसान को काफी सारी सहूलियत मिलती चली गई. इसमें से कुछ का इस्तेमाल तो समझ में आता है लेकिन कई ऐसी सुविधाएं हैं जो बनाई तो इंसान ने ही है लेकिन ज्यादातर लोग इसका मतलब नहीं समझते. इसमें से एक है फोन में फ्लाइट मोड का होना. कई लोगों को ये लगता है कि ज्यादातर इंसान अपनी जिंदगी में फ्लाइट पर नहीं चढ़ पाते. ऐसे में क्यों हर फोन में इस मोड (Why Flight Mode) को दिया जाता है?
ये बात सच है कि कई लोग अपनी पूरी लाइफ में फ्लाइट से यात्रा नहीं करते. ऐसे में हर मोबाइल कंपनी अपने फोन में फिर भी फ्लाइट मोड देती है. ये उम्मीद होती है कि आगे कभी इंसान को प्लेन से यात्रा करना ही पड़ जाए. आज हम आपको बताने जा रहे कि आखिर क्यों हर मोबाइल के अंदर फ्लाइट मोड का ऑप्शन रहता है? इसका सीधा कनेक्शन हवाई जहाज से ही है. कैसे? इसका खुलासा आज हम करेंगे.
– फ्लाइट में चढ़ने के बाद सबसे पहले उड़ान से पहले मोबाइल को फ्लाइट मोड में करवाया जाता है. ताकि आपके मोबाइल का सिग्नल प्लेन के सिग्नल को डिस्टर्ब ना करें.
–जैसे ही मोबाइल को फ्लाइट मोड में करते हैं, आपके फोन में अपने आप वाईफाई, GSM, ब्लूटूथ सब डिजेबल हो जाता है.
–फ्लाइट में टेक ऑफ और लैंडिंग दो सबसे क्रूशियल मोमेंट होते हैं. इनमें ही एक्सीडेंट होने के चान्सेस सबसे ज्यादा होते हैं. इसलिए सारी तरह की बुरी संभावनाओं से बचने के लिए प्लेन को फ्लाइट मोड में किया जाता है.
–जब प्लेन लैंड या टेक ऑफ़ करता है, तब प्लेन ट्रैफिक कंट्रोल से जुड़ा होता है. मोबाइल के सिग्नल कनेक्टविटी में बाधा डाल सकते हैं. इस कारण भी फ्लाइट मोड जरुरी है.
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