मनरेगा कर्मचारी हड़ताल से लौट आए हैं और कामकाज भी शुरू हो चुका है, लेकिन केंद्र से फंड नहीं मिलने के कारण काम में बाधा आ रही है। लेबर पेमेंट के लिए फंड आ रहा है और भुगतान भी हो रहा है। इसमें जो पुरानी पेंडेंसी है, वह राज्य स्तर पर हो रही है।
इसमें सिर्फ 46 करोड़ की ही पेंडेंसी है, जो सिर्फ चार माह की है, जो जल्द क्लीयर भी हो जाएगा, लेकिन केंद्र सरकार मटेरियल पेमेंट के लिए फंड ही जारी नहीं कर रही है। ऐसे में सप्लायरों को भुगतान ही नहीं हो रहा है। एक तो मनरेगा कर्मचारियों के हड़ताल में चले जाने से सप्लायरों को 500 करोड़ का सीधा घाटा हुआ है और अब केंद्र ने उनके हिस्से का 243 करोड़ रोक दिया है।
ऐसे जारी होना था फंड
बिलासपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, धमतरी, जशपुर, कांकेर, कवर्धा, कोरिया, रायगढ़, राजनांदगांव और सरगुजा को 129 करोड़ जारी करना था। इसमें 19 करोड़ और 110 करोड़ मटेरियल पेमेंट का है।
जांजगीर-चांपा, कोरबा, महासमुंद और रायपुर जिले को 51 करोड़ 95 लाख 85 हजार जारी होना था, जिसमें 7 करोड़ 9 लाख 55 हजार लेबर और 44 करोड़ 86 लाख 3 हजार मटेरियल पेमेंट शामिल है।
बालोद, बलौदा बाजार, बलरामपुर, बेमेतरा, बीजापुर, दुर्ग, गरियाबंद, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, कोंडागांव, मुंगेली, नारायणपुर, सुकमा, सूरजपुर जिले को 104 करोड़ 85 लाख 62 हजार जारी होना था।
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