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कृषि कानूनों की वापसी से खत्म नहीं हुई लड़ाई! शीत सत्र के लिए विपक्ष ने की तैयारी, MSP पर जंग के लिए बनाया प्लान

संसद में पारित होने के 14 महीने बाद तीनों कृषि कानूनों का वापस लेने के फैसले को कई नजरियों से देखा जा रहा है. कई लोग इसे राजनीतिक नुकसान को कम करने वाले कदम के रूप में देख रहे हैं. हालांकि आगे क्या होगा ये 10 दिनों बाद शीतकालीन सत्र में इस कानून को निरस्त करने की प्रक्रिया के वक्त दिखाई देगा. किसान संघों के सड़कों पर प्रदर्शन और रेल रोको अभियान के जरिए पैदा हुए विरोध को भुनाने के लिए पिछले साल मैदान में उतरे विपक्षी दल सरकार को इस फैसले का एडवांटेज देने के मूड मे कतई नहीं है.

29 नवंबर से 23 दिसंबर तक होने वाले सत्र में तस्वीर साफ होनी है. विपक्ष के नेताओं ने कहा है कि समस्या खुद केंद्र की बनाई हुई थी. यही वजह है कि संसद के सत्र में भी विपक्ष सरकार को घेरने की भरपूर कोशिश करेगा. तीन विपक्षी सांसदों ने कहा कि जब अधिनियम को वापस लेने के लिए सदन में लाया जाएगा तो “कई असहज सवाल उठाए जाएंगे. नियमों के अनुसार, सरकार को कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद के दोनों सदनों की अनुमति लेनी होगी.

अभी भी संसद में काम किया जाना बाकी
तृणमूल के डेरेक ओ ब्रायन ने बताया कि अभी भी संसद में काम किया जाना है. सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने मांग की है कि संसद को तीन कृषि कानूनों को निरस्त करते हुए MSP को कानूनी अधिकार के रूप में लागू करना चाहिए. उन्होंने कहा कि 750 से अधिक किसान शहीद हुए फिर भी पीएम मोदी को कोई पछतावा नहीं है.

जारी रहेगी अभी भी लड़ाई
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने संकेत दिया कि किसानों के कल्याण को लेकर BJP के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी. सोनिया गांधी ने अपने बयान में कहा, बीजेपी सरकार ने पिछले सात वर्षों में किसान समुदाय पर लगातार हमला किया है. राहुल ने किसानों को लिखे अपने पत्र में कहा, ‘संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है. कृषि उपज के लिए लाभकारी एमएसपी प्राप्त करना, विवादास्पद विद्युत संशोधन अधिनियम को समाप्त करना, खेती के लिए उपयोग की जाने वाली हर चीज पर कर का बोझ कम करना, डीजल की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि को कम करना और कर्ज का बोझ गंभीर मुद्दे हैं.

दूसरी बार सुधारों से पीछे हटी सरकार
यह दूसरी बार है जब एनडीए सरकार को किसानों को प्रभावित करने वाले सुधारों से पीछे हटना पड़ा है. कांग्रेस पार्टी ने घोषणा की कि वह 20 नवंबर को “किसान विजय दिवस” ​​(किसान विजय दिवस) के रूप में मनाएगी. पार्टी के कानूनी विशेषज्ञ अभिषेक सिंघवी ने सवाल किया, सरकार ने कानूनों को रद्द करने के लिए शुक्रवार को अध्यादेश क्यों नहीं लाई. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, हर एक किसान को मेरी हार्दिक बधाई, जो लगातार संघर्ष करते रहे और उस क्रूरता से विचलित नहीं हुए. यह आपकी जीत है! वहीं पार्टी के राज्यसभा के फर्श नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, खुशी है कि सच्चे नायकों, किसानों ने अभी भी अपना विरोध बंद नहीं किया है.

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