अम्बिकापुर। छत्तीसगढ़ का शिमला कहलाने वाला मैनपाट इन दिनों अपनी एक अजूबे के लिए सुर्खियां बटोर रहा है। दरअसल, यहां चारपहिया वाहन ढलान में नीचे की ओर नहीं, बल्कि विपरीत दिशा यानी ऊंचे तरफ बिना किसी सहारे के खुद-ब-खुद आगे बढ़ते चले जाते हैं। ये इलाका है…. मैनपाट के बिरसापानी गांव में, जहां फोर व्हीलर्स नियुट्रल में अपने आप घाट की ओर चलने लगते हंै। इस खास जगह पर तकरीबन 100 मीटर तक वाहन चढ़ान की ओर तेजी से बढ़ जाते हैं।
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दरअसल अम्बिकापुर से तकरीबन 47 किलोमीटर दूर लगभग 44 वर्गफुट में फैली मैनपाट की पहाडिय़ों में कई रहस्य और रोमांच भरे पड़े हैं। आकल्पनीय इस जगह का पता अभी हाल ही में चला है। वहीं इस जगह के वैज्ञानिक चमत्कार के बारे में पता चलते ही यहां इस अद्भुत अहसास से रूबरू होने रोजाना सैकड़ों लोग आ रहे हैं। प्रकृति के विपरीत लेकिन कुदरत के इस करिश्मे की वजह से यह जगह अब अजूबा बन गई है।
नियुट्रल कार खुद चढ़ जाती है घाट पर
बिसरपानी, इस इलाके की सड़क के एक खास जगह पर कार को यदि नियुट्रल कर के खड़ा कर दिया जाए तो वाहन तकरीबन 100 मीटर तक खुद ही लुढकने लगता है। लेकिन खास बात यह है कि वाहन ढलान की ओर नही बल्कि इसके विपरीत चढ़ान की ओर बढ़ जाता है। हैरान कर देने वाली यह जगह और इसके घाट की चढ़ान लगभग 5 फ ुट ऊंची है। यहां वाहन सामान्य गति से खुद ही घाट चढऩे लगते हैं जिन्हें कभी-कभी तो ब्रेक लगाकर रोकना भी पड़ जाता है।
शोध और आश्चर्य का विषय
इस अजूबे ने जहां पर्यटन अमले को मैनपाट में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक नई राह दिखलाई है तो वहीं भूगोल और भूगर्भ के जानकारों और विज्ञानियों के लिए शोध का नया विषय भी दे दिया है। भूगोल विशेषज्ञ डॉक्टर अनिल सिंह का इस मसले पर कहना है कि गाडिय़ां विपरीत दिशा में चल रही है तो कोई उस पर ग्रेविटेशनल फोर्स का असर पड़ रहा होगा। मैनपाट भौगोलिक विसंगतियों वाला क्षेत्र है, यह पठारी इलाका है साथ ही पठार का जन्म ज्यादातर ज्वालामुखी के लावे से होता है। ज्वालामुखी से कई तरह के पदार्थ अंदर से बाहर आते हैं साथ ही भूगर्भ में भी ओरिवर्तन होता है। ऐसा लगता है कि कोई इसी तरह का मेटल या गुरुत्वबल प्रधान तत्व इक_ा है जिसके रिसर्च की जरूरत है
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