छत्तीसगढ़

ब्रम्हाकुमारी: जीवन में दिन प्रतिदिन बढ़ रही चिंता, तनाव, दु:ख और अशान्ति

रायपुर। सृष्टि परिवर्तन की बेला है। इस समय विश्व इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण समय संधिकाल अथवा संगमयुग चल रहा है। जबकि निराकार परमपिता परमात्मा अपने साकार माध्यम प्रजापिता ब्रह्मा के द्वारा आध्यात्मिक ज्ञान और राजयोग की शिक्षा देकर संस्कार परिवर्तन और नई सतोप्रधान दुनिया की पुर्नस्थापना करा रहे हैं। उक्त बातें राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने गुरूवार को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की 49 वीं पुण्यतिथि पर व्यक्त की उन्होंने कहा कि प्रजापिता ब्रह्मा को इस संस्थान में परमात्मा, भगवान अथवा गुरु का दर्जा नहीं दिया जाता है। अपितु वह भी एक इन्सान थे जिन्होंने नारी शक्ति को आगे कर ईश्वरीय सेवा के द्वारा महिला सशक्तिकरण का कार्य किया। उन दिनों समाज में महिलाओं की स्थिति दोयम दर्जे की थी किन्तु ब्रह्माबाबा ने उनमें छिपी नैतिक और आध्यात्मिक शक्तियों को सामने लाकर विश्व में एक नई शुरुआत की। उन्होंने वैश्विक बदलाव की चर्चा करते हुए कहा कि जब सृष्टि प्रारम्भ हुई तो सतोप्रधान थी। उस समय यह दैवभूमि कहलाती थी। सभी प्राणी मात्र दैवी गुणों से सम्पन्न होने के कारण देवी और देवता कहलाते थे। चहुं ओर सुख शान्ति व्याप्त थी। ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि आज विश्व में भौतिक चकाचौंध बहुत है लेकिन दु:ख, अशान्ति, तनाव, बिमारी आदि की भी कमी नहीं है। अब यह सृष्टि इतनी पुरानी और जर्जर हो चुकी है कि इसका विनाश ही एकमात्र समाधान है। वर्तमान संसार में कोई सार नहीं बचा है। जीवन में दिनों-दिन बढ़ रही चिंता, तनाव, दु:ख और अशान्ति ने समाज को नर्कतुल्य बना दिया है।

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