रायपुर। सुकमा जिले में हुये नक्सली हमला में शहीद हुये जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए कांग्रेस प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और नेता टीएस सिंहदेव ने कहा है कि रमन सरकार की गलत नीतियों के कारण आंतरिक सुरक्षा का खतरा लगातार बढ़ रहा है। कांग्रेस ने बढ़ते माओवादी हिंसा के लिये नेतृत्व में इच्छाशक्ति के अभाव, सूचना तंत्र की विफलता और सुरक्षा बलों के पास उचित संसाधनों का अभाव को प्रमुख कारण बताया है। सीआरपीएफ ने 2005 से अब तक 1928 जवान हिंसा में मारे गये हैं जिनमें आधे से अधिक छत्तीसगढ़ में मारे गये है। देश में 60 जिले नक्सल प्रभावित है, जिनमें 14 जिले छत्तीसगढ़ के है, लेकिन माओवादी हिंसा सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ में होती है। 2003 में माओवादी दक्षिण बस्तर के सीमावर्ती इलाकों तक सीमित था। वह भाजपा के 14 वर्षो के शासनकाल के बाद 14 जिलों तक कैसे बढ़ा? रमन सिंह सरकार के 14 वर्षो में छत्तीसगढ़ में माओवादी हिंसा प्रभावित इलाका 3 ब्लाकों से बढ़कर देश में सबसे ज्यादा माओवादी हिंसा से प्रभावित इलाका कैसे बन गया है? एसपी वीके चैबे के मारे जाने की घटना की जांच तक नहीं होती और जो अधिकारी पूरी घटना में कहीं शामिल नहीं होता है, उस अधिकारी को वीरता पुरस्कार दिया जाता है। ताड़मेटला में 76 लोग मारे गये, लेकिन सही जांच नहीं होती। जीरम में शामिल लोगों की शादी तो भाजपा सरकार कराती है लेकिन जीरम के षडय़ंत्र की जांच नहीं कराती। दिल्ली और अमेरिका जाकर मुख्यमंत्री रमन सिंह ये दावा जरूर करते है कि माओवादी बीते दिनों की बात है, लेकिन बड़ी घटनाओं की भी जांच नहीं कराते। दरअसल छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार में नक्सलवाद खत्म नहीं हो रहा है, बढ़ रहा है। छत्तीसगढ़ के एक बड़े इलाके में पुलिस जा ही नहीं पाती है। 2018 में अब तक चार हमले हो चुके है, 17 जवान मारे जा चुके हंै। समय आ गया है कि माओवाद से लडऩे के लिये बनाई गयी ज्वाइंट कमांड के प्रमुख रमन सिंह अपनी नैतिक जिम्मेदारी को स्वीकार करें। सुकमा जिले में 11 मार्च को मुख्यमंत्री लोकसुराज अभियान कार्यक्रम के दौरान मोटर सायकल में निकलते है, सुरक्षित वापस लौट आते हैं उनके वापस लौटने के ठीक तीन दिन बाद एंटीलैंडमाइन व्हिकल में निकले सीआरपीएफ जवानों पर नक्सली हमला करते है जिसमें 9 जवान शहीद हो जाते है। भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव ने सरकार पर आरोप लगाते हुये कहा कि राज्य सरकार की रूचि माओवाद से निपटने में कम, माओवादियों से लडऩे के नाम पर मिलने वाली भारी भरकम राशि पर ज्यादा है। राज्य का खूफिया तंत्र बार-बार नाकाम होता है। केन्द्रीय सुरक्षा बल एवं राज्य पुलिस के बीच तालमेल की भारी कमी है, जिसका खामियाजा हमारे जवानों को भुगतना पड़ रहा है।
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