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मार्केट में जबरदस्त वापसी करने में जुटा अडानी ग्रुप, समय से पहले चुकाया बड़ा कर्ज

महीनेभर से ज्यादा वक्त से मुश्किलों में घिरा रहा अडानी ग्रुप अब जबरदस्त तरीके से मार्केट में साख वापस बनाने की कोशिश में लगा है. सोमवार को बाजार खुलने से एक दिन पहले यानी रविवार को अडानी ग्रुप ने 2.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर का मार्जिन लिंक्ड शेयर बैक्ड फाइनेंसिंग (स्टॉक के बदले में लिया पैसा) का समय से पहले ही पूरा भुगतान कर दिया है. अडानी ग्रुप के लिए इस राशि का भुगतान करने के लिए 31 मार्च तक डेडलाइन थी. इस कदम को हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद निवेशकों का भरोसा जीतने के तौर पर देखा जा रहा है.

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप को भारी नुकसान हुआ है. हर रोज उन्हें करीब 3 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ रहा था. शेयरों की कीमतें गिरने के कारण Adani Group का मार्केट कैपिटलाइजेशन भी गिरकर 100 अरब डॉलर के नीचे पहुंच गया था. इस रिपोर्ट के कारण निवेशकों के सेंटिमेंट पर पड़े विपरीत प्रभाव ने उनके हाथ से डीबी पावर, पीटीसी इंडिया और ओरियंट सीमेंट के साथ हुई डील भी छीन लीं. यही नहीं उन्हें अपना 20,000 करोड़ रुपये का फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) भी वापस लेना पड़ा.

वहीं, अब अडानी ग्रुप लगातार अपनी छवि सुधारने के प्रयास में लगा हुआ है. ग्रुप ने ऐसे कई बड़े फैसले लिए हैं, जिससे निवेशकों का फिर से भरोसा जीता जा सके. ग्रुप का कहना है कि उसने अंबुजा सीमेंट अधिग्रहण के लिए जो 500 मिलियन डॉलर की आर्थिक मदद ली थी, उसका भी भुगतान कर दिया है. ग्रुप का कहना है कि ये कदम इक्विटी योगदान को बढ़ाने के प्रमोटर्स के वादे को पूरा करने की दिशा में किया गया है. बता दें कि प्रमोटर्स ने अंबुजा और एसीसी के लिए 6.6 अरब अमेरिकी डॉलर के कुल अधिग्रहण मूल्य में से 2.6 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है.

वित्तीय स्थिति में सुधार का संदेश दे रहा अडानी ग्रुप
माना जा रहा है कि 6 सप्ताह के भीतर 2.65 बिलियन अमेरिकी डॉलर के पूरे प्री-पेमेंट किए जाने से अडानी ग्रुप का मजबूत प्रबंधन का संदेश दिया गया है. इसके साथ ही प्रायोजक स्तर पर निवेशकों को आश्वस्त करने का तरीका है. यह कदम कंपनी की वित्तीय स्थिति में सुधार और अपनी बैलेंस शीट को मजबूत करने के प्रयासों को दर्शाता है. यह कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य के बारे में बाजार को एक सकारात्मक संकेत भी भेजता है, जिसकी हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद माहौल को सुधारने में बड़ी जरूरत के तौर पर देखा जा रहा था.

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