रायपुर। अविभाजित मध्यप्रदेश से टूटकर जब छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण 2000 में हुआ था तो उस समय उम्मीद थी कि आम छत्तीसगढिय़ों के द्वारा देखे गये स्वप्न को यहां के राजनेता साकार करेंगे। 17 वर्षों के उपरांत भी धान का कटोरा छत्तीसगढ़ आज भी उत्पादन के मामले में पीछे है। यहां पर जन समस्याओं की उपेक्षा की जा रही है। वे शरीर से किन्नर हैं दिमाग से नहीं। यह उद्गार प्रेस क्लब रायपुर में आयोजित रूबरू कार्यक्रम में मध्यप्रदेश की पूर्व विधायक शबनम मौसी ने व्यक्त किया।
किन्नर होने के बावजूद भी निर्दलीय विधायक बनकर उन्होंने अपने विधान सभा क्षेत्र में स्कूल, कालेज, सामुदायिक भवनों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों सहित अनेक विकास कार्यों को पूर्ण करवाया। वे बिरजू महाराज की शिष्या रही हैं। उन्होंने कत्थक नृत्य का विधिवत प्रशिक्षण लिया है। कुछ फिल्मों में भी काम किया है।
उन्होंने कहा कि 78 हजार करोड़ रूपये का बजट होने के बावजूद भी आज भी यहां की जनता प्राथमिक सुविधाओं से वंचित हैं। वनांचलों में बरसात के समय अनेक नदियों में पुल नहीं होने के कारण स्कूली विद्यार्थियों सहित आम ग्रामीण नावों से आवाजाही करते हैं। यह अच्छी स्थिति नहीं है। उन्होंने सिंचाई एवं धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की सराहना करते हुए कहा कि वे सच्चे जनसेवक हैं उनके आवास में मिलने वालों में छोटे-बड़ों में भेदभाव नहीं किया जाता। वे आम लोगों की समस्याओं से रूबरू होने गरीब की झोपडिय़ों में भी जाते हैं। 90 विधायकों में वे सर्वश्रेष्ठ विधायक हैं। उन्हें मध्यप्रदेश में सर्वश्रेष्ठ विधायक के रूप में अलंकृत किया गया था। तृतीय लिंग के संबंध में पूछे जाने पर शबनम मौसी ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट का आभार मानती हैं। लंबी लड़ाई के बाद यह अधिकार मिला है कि अब आवेदन पत्रों में तृतीय लिंग का कालम भी राज्य सरकारों को जोडऩा पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि आगामी विधासभा चुनाव में छत्तीसगढ़ की जनता राजनेताओं को जमकर जवाब देगी। छत्तीसगढ़ में तृतीय लिंग में शामिल लोगों की उपेक्षा की जा रही है। वे चाहतीं हैं कि आम जनता अच्छे लोगों को चुनकर विधानसभा भेजें ताकि उनके क्षेत्र का समुचित विकास हो सके।
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