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RRB/RRC Group-D Exam Date: रेलवे की ग्रुप डी परीक्षा नौकरी की लड़ाई ट्विटर पर टॉप ट्रेंड में छाई

रेलवे की ग्रुप डी परीक्षा में फार्म निरस्त करने की खामियों पर विरोध बढ़ता ही जा रहा है। रेलवे रिक्रूटमेंट सेल (आरआरसी) के रुख से नाराज करीब साढ़े चार लाख छात्रों ने सोशल मीडिया पर मुहिम छेड़ दी है। नौकरी की यह लड़ाई रविवार को ट्विटर पर टॉप ट्रेंड बनकर छाई रही।

आरआरसी की ओर से अभ्यर्थियों का फॉर्म निरस्त करने का मुद्दा रविवार सुबह 10 बजे से ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा। महज आधे घंटे में 65 हजार से अधिक लोगों ने ट्वीट कर छात्रों का समर्थन किया। शाम 6 बजे तक 6.29 लाख ट्वीट के साथ यह मुद्दा टॉप ट्रेंड करता रहा। आरआरसी के मनमाने रवैये के खिलाफ प्रयागराज के छात्रों ने ही ग्रुप बनाकर आंदोलन शुरू किया। मुहिम चलाने वाले छात्रों का कहना है कि पूरी दुनिया में ट्विटर पर यह मुद्​दा सुबह दूसरे नंबर पर था जबकि शाम तक नौवें नंबर पर पहुंच गया।

क्या है मामला
आरआरसी की ग्रुप डी परीक्षा के लिए 1.15 करोड़ अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन आवेदन किया था। आरआरसी ने 5.11 लाख छात्रों के आवेदन इनवैलिड फोटो और हस्ताक्षर के कारण निरस्त कर दिए। प्रभावित छात्रों ने ट्वीट और मेल किया तो आरआरसी ने सॉफ्टवेयर की गलती मानते हुए निरस्त फॉर्म फिर जमा करने को कहा। इस बार 44 हजार 422 आवेदन मंजूर कर लिए। बचे 4.5 लाख आवेदन निरस्त ही माने गए। ग्रुप डी की परीक्षा के लिए जो फोटो और हस्ताक्षर को सॉफ्टवेयर ने इनवैलिड माना वही एनटीपीसी परीक्षा में मान्य हो गए। ऐसे में 4.5 लाख छात्रों का भविष्य अधर में लटका तो उन्होंने इस लड़ाई को आगे बढ़ाया।

सोमवार को डबल बेंच में सुनवाई
केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण, इलाहाबाद में मामले की सुनवाई चल रही है। दो जजों की बेंच इस केस पर सोमवार को सुनवाई करेगी। कोर्ट नंबर एक में 43वें नंबर पर केस की सुनवाई होनी है। छात्रों ने सुनवाई को लेकर उम्मीद बांध रखी है।

याचिकाकर्ता बोले, जीत हमारी होगी
मुख्य याचिका कर्ता राकेश यादव का कहना है कि इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे हैं। आरआरसी की खामियों से लाखों छात्रों का सपना टूट रहा है। ट्विटर, फेसबुक से लाखों लोगों की निगाह इस मुद्​दे पर है, हम यह लड़ाई जीतकर रहेंगे।

ग्रुप बनाकर मुहिम चलाई
सोशल मीडिया पर हजारों छात्रों को जोड़कर मुहिम आगे बढ़ाने वाले अमित मिश्र का कहना है कि जब सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी सामने आ गई तो महज कुछ छात्रों का फॉर्म क्यों मंजूर किया गया। शेष 4.5 लाख आवेदकों की क्या गलती है।

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