महासमुंद : जिला अस्पताल में लोग विश्वास के साथ इलाज कराने आते है, लेकिन उन्हें स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिलने के बजाए रायपुर रेफर का जवाब मिलता है। यहां हर केस को रायपुर रेफर कर दिया जाता है।जिला अस्पताल रेफर सेंटर बनकर रह गया है। गुरुवार को भी यहीं देखने को मिला। प्रसव पीड़ा से परेशान दो गर्भवती महिला को गायनेकोलॉजिस्ट छ्ट्टी में होने की वजह से परिजनों को सीधे एक सीरे से रायपुर ले जाने के लिए कह दिया।
बताया जा रहा है कि पिछले 15 दिनों से गर्भवती महिला को रायपुर रेफर किया जा रहा है। अभी तक प्रसव पीड़ा से परेशान 15 गर्भवती महिलाओं को केवल चिकित्सक नहीं होने की वजह से रेफर किया गया है। इधर, कोरोना काल में ऐसे ही आर्थिक तंगी झेल रहे गरीब लोग जिला चिकित्सालय के इस रवैये से परेशान है। वर्तमान में जिला अस्पताल स्त्री रोग विशेष की कमी से जूझ रहा हैं। अस्पताल प्रबंधन इस सुविधा का लाभ जिला सहित आसपास के गर्भवती महिलाओं को नहीं दे पा रहा है।
इसकी वजह से उन्हें या ता निजी अस्पताल में जाना पड़ रहा है या फिर रायपुर मेकाहरा में। 15 साल हो गए जिला बने लेकिन अस्पताल में जो लोग अपना विश्वास से इलाज कराने आते है, उन्हें केवल सुविधा का लाभ नहीं मिलता है। इस संबंध में अस्पताल अधीक्षक एनके मंडपे से चर्चा करने फोन भी लगाया गया, लेकिन उन्होंने ने रिसीव नहीं किया। वहीं प्रसुति वार्ड की नर्स ने बताया कि दोनों ही महिला को प्रसव नार्मल नहीं हो सकता है। इनका ऑपरेशन करना होगा वर्तमान में यहां स्त्रीरोग विशेष नहीं है। इसलिए रायपुर रेफर किया जा रहा है।
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एक चिकित्सक सेवानिवृत्त तो दूसरा मातृत्व अवकाश में
अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार यहां दो गायनेकोलॉजिस्ट है। इसमें से डॉ. एनके सचदेवा 30 जून को सेवानिवृत्त हो गए हैं। वहीं एक महिला चिकित्सक गरिमा सतपति वर्तमान में मातृत्व अवकाश पर है। इसकी वजह से अस्पताल की व्यवस्था गड़बड़ा गई है। पिछले 15 दिनों से जिला अस्पताल में ऑपरेशन नहीं हो पा रहा है। ऑपरेशन वालों को रायपुर रेफर किया जा रहा है। गुरुवार को भी आए दो गर्भवती को रायपुर रेफर किया गया है।
जानिए परिजनों की जुबानी
विश्वास से आए थे, लेकिन नहीं मिला सुविधा
गरियाबंद जिले के ग्राम हिराबरत निवासी रवि चालकी ने बताया कि गरियाबंद में स्वास्थ्य सुविधा का लाभ नहीं मिल पता है इसलिए महासमुंद जिला अस्पताल में विश्वास के साथ अपने पत्नी सनत चालकी का डिलिवरी कराने के लिए यहां आया हूं, लेकिन यहां भी अव्यवस्था है। आने के बाद जिला अस्पताल से विश्वास उठा गया है।
उन्होंने बताया कि प्रसव पीड़ा से उसकी पत्नी बेहाल है, लेकिन जिला अस्पताल में चिकित्सक नहीं होने के कारण डिलिवरी नहीं हो रहा है। यहां पदस्थ नर्स सीजर केस है। यहां अभी ऑपरेशन नहीं हो रहा है, इसिलए रायपुर ले जाने की बात कह रही है। पिछले आधे घंटे से भटक रहा हूं। रायपुर ले जाने के लिए व्यवस्था तक नहीं कर रहे हैं। मैं स्वयं किराया करके अब रायपुर जाऊंगा। मेरी मजबूरी है। गरीबों को सुविधा देने के लिए बनाए गए जिला अस्पताल का हाल बेहाल है।
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आदिवासी गर्भवती महिला को भी नहीं मिला लाभ
बागबाहरा ब्लॉक के ग्राम मामा भांचा की आदिवासी महिला सरिता दीवान भी प्रसव पीडा के चलते जिला अस्पताल में तड़पते हुए बेड में सोई है। चिकित्सक नहीं होने की वजह से उन्हें रायपुर रेफर किया जा रहा है। उसके ससुर गोविंद सिंह दीवान ने बताया कि जिला अस्पताल केवल नाम का है। यहां स्वास्थ्य व्यवस्था का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
मैं अपने बहू सरिता दीवान को डिलिवरी के लिए लाया हूं, लेकिन नर्स चिकित्सक नहीं होने की बात कहकर रायपुर ले जाने की बात कह रही है। उन्होंने कहा रायपुर के बजाए अब निजी अस्पताल में ले जाने के लिए वे मजबूर है, क्योंकि उसकी हालत रायपुर जाने के लायक नहीं है।
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