सनातन धर्म में पंचदेवों में से सूर्य देव भी माने गए हैं। ज्योतिष में भी सूर्य का बहुत महत्व माना गया है, ज्योतिष के अनुसार सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। यह मनुष्य के जीवन में मान-सम्मान, पिता-पुत्र और सफलता का कारक माना गया है।
ज्योतिष के अनुसार सूर्य हर माह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। इस तरह से बारह राशियों में सूर्य एक वर्ष में अपना चक्र पूर्ण करते हैं। सूर्य को आरोग्य दाता माना गया है। सूर्य के प्रकाश से ही पृथ्वी पर जीवन संभव है। सूर्य को प्रतिदिन जल देने से जातक को आध्यात्मिक लाभ तो प्राप्त होते हैं साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। भगवान सूर्य नारायण की कृपा पाने और कुंडली में सूर्य की अनुकूलता बनाएं रखने के लिए प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए।
इससे आपको समाज में मान-सम्मान और प्राशसनिक आधिकारियों का सहयोग प्राप्त होता है। आप अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं, लेकिन सूर्य को जल देते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है। इन बातों को ध्यान में रखकर यदि सूर्य को जल अर्पित करते हैं तो आपके जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और सभी बिगड़े काम भी बनने लगते हैं।
केवल जल अर्पित न करें
अधिकतर लोग पूजा करने के बाद केवल लोटे में जल लेकर सूर्य देव को अर्पित करते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें रोली, चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर सूर्य को जल देना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें चावल अर्पित करना चाहिए और गुड़ या फिर कुछ मीठा अवश्य चढ़ाना चाहिए। इससे आपको सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।
जल चढ़ाते समय इस बात का रखें ध्यान
जब आप सूर्य को जल दे रहे हो तो ध्यान रखें की जल सीधे आपके पैरों पर नहीं गिरना चाहिए। जल चढ़ाते समय अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाकर जल अर्पित करें ताकि सूर्य की किरण आपके शरीर पर पड़े और जल गिरते समय आपके पैरों को न छुए। माना जाता है कि यदि जल चढ़ाते समय आपके पैरों पर गिरता है तो सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता है।
इस समय चढ़ाएं जल
सूर्य को जल चढ़ाने का सबसे उत्तम समय तब होता है, जब सूर्य उदय हो रहा हो। उगते हुए सूर्य को जल देना बहुत ही शुभ रहता है। सूर्य को जल प्रतिदिन देना चाहिए। इससे आपके जीवन की समस्याएं तो दूर होती ही हैं आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। यदि आप प्रतिदिन जल अर्पित नहीं कर सकते हैं तो रविवार के दिन जल अवश्य अर्पित करें।
दिशा का अवश्य रखें ध्यान
सूर्य पूर्व दिशा से उदय होता है, इसलिए सूर्य को जल देते समय अपना मुख सदैव पूर्व दिशा की ओर रखें। कई बार बादल आने के कारण आसमान साफ नहीं होता है, जिससे सूर्य दिखाई नहीं देता है, इस स्थिति में भी पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही जल अर्पित करें।
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