नई दिल्ली. नए दशक में संसद का पहला बजट सत्र शुक्रवार को शुरू हुआ. इस दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण से सत्र की कार्यवाही शुरू हुई. अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति ने तीनों किसान कानून, किसान आंदोलन और 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा का जिक्र किया.
इस दौरान राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि तिरंगे और गणतंत्र दिवस जैसे पवित्र दिन का अपमान बर्दाश्त नहीं है. तीन कृषि कानूनों पर राष्ट्रपति ने कहा, ‘मेरी सरकार यह स्पष्ट करना चाहती है कि तीन नए कृषि कानून बनने से पहले, पुरानी व्यवस्थाओं के तहत जो अधिकार थे तथा जो सुविधाएं थीं, उनमें कहीं कोई कमी नहीं की गई है.
बल्कि इन कृषि सुधारों के जरिए सरकार ने किसानों को नई सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ नए अधिकार भी दिए हैं.’ उन्होंने कहा कि व्यापक विमर्श के बाद संसद ने सात महीने पूर्व तीन महत्वपूर्ण कृषि सुधार, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक और आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक पारित किए हैं.
बीते दिनों लाल किले पर हुई हिंसा को लेकर भी राष्ट्रपति का रुख सख्त दिखा. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों तिरंगे और गणतंत्र दिवस जैसे पवित्र दिन का अपमान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. जो संविधान हमें अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है, वही संविधान हमें सिखाता है कि कानून और नियम का भी उतनी ही गंभीरता से पालन करना चाहिए.
राष्ट्रपति ने कहा कि वर्तमान में इन कानूनों का अमलीकरण देश की सर्वोच्च अदालत ने स्थगित किया हुआ है. मेरी सरकार उच्चतम न्यायालय के निर्णय का पूरा सम्मान करते हुए उसका पालन करेगी. राष्ट्रपति ने कहा कि इन कृषि सुधारों का सबसे बड़ा लाभ भी 10 करोड़ से अधिक छोटे किसानों को तुरंत मिलना शुरू हुआ. छोटे किसानों को होने वाले इन लाभों को समझते हुए ही अनेक राजनीतिक दलों ने समय-समय पर इन सुधारों को अपना भरपूर समर्थन दिया था.
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