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दुर्ग जिले में संक्रमण की दर प्रदेश के औसत से दोगुना… स्वास्थ्य मंत्री ने कहा- 8000 बेड का कोविड केयर सेंटर और सेंट्रल ऑक्सीजन का 1000 बेड का अलग से अस्पताल बनेगा…

सर्किट हाउस में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कोरोना की तैयारियों की समीक्षा की। इसके बाद कहा, दुर्ग में कोरोना की बाढ़ है। सेंट्रल आक्सीजन सुविधा युक्त मात्र 1000 बेड के अस्पताल से काम नहीं चलेगा। कलेक्टर भुरे जल्द से जल्द 1000 बेड का एक और अस्पताल तैयार करने का आदेश दिया।

कम वॉयलर लोड वाले मरीजों के लिए 8000 बेड के कोविड केयर सेंटरों को भी तैयार कराएंगे। इसके अलावा कोरोना से दम तोड़ने वाले किसी व्यक्ति का नाम नहीं छुटेगा। डेथ ऑडिट के बाद फाइनल सूची में सबके नाम जोड़ दिए जाएंगे।

कोरोना जांच किट की किल्लत नहीं होगी
स्वास्थ मंत्री ने कहा कि दुर्ग जिले में कोरोना जांच किट की किल्लत नहीं होगी। प्रदेश को रोज मिलने वाले रैपिड एंटीजेन और ट्रू-नॉट किट वह संक्रमण के अनुसार जिलों में बटवाएंगे। दुर्ग और रायपुर में संक्रमण ज्यादा है, दोनों जगह सबसे पहले उपलब्ध होगी।

बाहर से आने वाले और कांटेक्ट की ट्रेसिंग
जिले में बाहर से आने वाले हर व्यक्ति को आइसोलेट कराने के साथ ही पॉजिटिव आने वाले के संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति की ट्रेसिंग होगी। उन सबका सैंपल लेकर रिपोर्ट आने तक आइसोलेट किया जाएगा। बाहर से आने वालों की भी जांच कराई जाएगी।

मरीजों की शिफ्टिंग के लिए साधन बढ़ेंगे
कोरोना मरीजों की अस्पतालों में शिफ्टिंग केवल 108 के भरोसे नहीं रहेगी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इसके लिए कुछ वाहन बढ़ाए जाएंगे। कोरोना मरीजों को क्विक उपचार दिलाने के लिए सभी संबंधित संसाधनों को दुरुस्त किया जाएगा।

बीमार लोगों को होम आइसोलेट न करें
स्वास्थ मंत्री ने कहा कि बीमारी से पीड़ित किसी भी कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति को होम आइसोलेशन की परमिशन न दी जाए। 60 वर्ष से ज्यादा उम्र वालों को भी होम आइसोलेशन में रखने से उन्होंने मना किया।

हर मरीज की सुबह-शाम मानीटरिंग हो
होमआइसोलेशन में मरीज की सुबह-शाम मॉनिटरिंग करने को स्वास्थ मंत्री ने कहा। बताया कि मॉनीटरिंग नहीं होने से मरीजों की हाल गंभीर हो जाती है। इस स्थिति में जब वे अस्पताल पहुंचते हैं, तो बचाने की स्थिति नहीं रहती है।

हमारी अच्छी आदत ही हमें कोरोना से बचाएगी
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा कि सितंबर 2020 में कोरोना का प्रकोप झेलने के बाद भी हमने मास्क लगाने और अपनों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की आदत नहीं डाले, इसलिए आज उससे भी भयावह स्थिति में पहुंच गए हैं। हमारी अच्छी आदत ही हमें कोरोना से बचा सकती है।

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