वॉशिंगटन. दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus Pandemic) का पहला मामला आए मंगलवार को एक साल हो गया. अब भी लोग इस संक्रामक रोग से परेशान हैं. अब पता चला है कि एक और वायरस दुनिया के सामने आ गया है. इसमें भी पर्सन टू पर्सन इंफेक्शन के सबूत मिले हैं. इसकी पुष्टि अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंटोल ने भी कर दी है. बताया गया कि बोलिविया में संक्रमण के मामले सामने आए हैं. इसमें ऐसा बुखार होता है, जिससे ब्रेन हैमरेज तक हो सकता है. यह लगभग इबोला जैसा है. इबोला को भी काफी खतरनाक माना गया था, हालांकि उस पर भी जल्द ही नियंत्रण हासिल कर लिया गया था.
वैज्ञानिकों के अनुसार इस वायरस का नाम है- चापरे वायरस (Chapre Virus). दरअसल, इस वायरस का मूल साल 2004 में बोलिविया के चापरे इलाके में देखा गया था. Live Science की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सीडीसी ने कहा कि 2019 में इस संक्रमण की चपेट में आए पांच में तीन लोग स्वास्थ्य कर्मी थे जिसमें से दो की मौत हो गई.
रिपोर्ट के अनुसार जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता कॉलिन कार्लसन ने कहा कि इबोला जैसे हेमरैजिक फीवर कोरोना या फ्लू की तरह बहुत मुश्किल से फैलते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि हेमरैजिक बुखार के लक्षण आम तौर पर संक्रमण के तुरंत बाद दिखाई देते हैं (सांस की लंबी बीमारी के चलते) और संक्रमित के सीधे संपर्क में आने से यह संक्रमण एक से दूसरे इंसान में फैलता है. लेकिन अगर यह महामारी का रूप लेता है तो यह मेडिकल सिस्टम को तबाह कर सकता है. मरीजों का इलाज करते हुए कई स्वास्थ्यकर्मी बीमार हो जाते हैं.
क्या है इसका इलाज?
2019 में चापरे वायरस का पहला संकेत मानव शरीर के फ्ल्यूड्स के एक कलेक्शन में पाया गया था. सैंपल्स को इकट्ठा करने वाले डॉक्टरों का मानना था कि रोगी डेंगू के संपर्क में आए होंगे. CDC रिसर्चर मारिया मोराल्स ने कहा कि ‘दक्षिण अमेरिका में डेंगू बहुत प्रचलित है. हेमैरजिक फीवर के लक्षण वाला डेंगू से पहले कुछ और नहीं सोच सकता. यह दोनों बहुत समान हैं.’
सीडीसी के संक्रामक रोग विशेषज्ञ कैटलिन कोसाबूम ने कहा कि जिन मरीजों को इस वायरस का संक्रमण हुआ उन्होंने बुखार, पेट दर्द, उल्टी, मसूड़ों से खून निकलने, त्वचा पर छाले और आंखों में दर्द की शिकायत की. फिलहाल इस वायरस का कोई इलाज नहीं है ऐसे में पानी चढ़ाना ही सिर्फ एक रास्ता है.
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