छत्तीसगढ़

कृषि विवि बनाएगा खरपतवारों का एटलस, छत्तीसगढ़ी में मिलेगी जानकारी

रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा छत्तीसगढ़ के मैदानी क्षेत्रों में पाए जाने वाले विभिन्न खरपतवारों का एटलस बनाया जाएगा। इसके साथ ही खरपतवार अनुसंधान निदेशालय द्वारा विकसित मोबाइल एप ”वीड मैनेजर” के माध्यम से किसानों को खरपतवारों से संबंधित जानकारी छत्तीसगढ़ी भाषा में ही उपलब्ध करायी जाएगी। विगत दिवस भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के खरपतवार अनुसंधान निदेशालय जबलपुर के निदेशक डॉ. पी.के सिंह एवं उनके सहयोगियों द्वारा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में संचालित अखिल भारतीय खरपतवार प्रबंधन परियोजना की समीक्षा के दौरान इस आशय के निर्णय लिए गए।

समीक्षा दल द्वारा प्रक्षेत्र भ्रमण कर परियोजना के तहत क्रियान्वित विभिन्न प्रयोंगों – जीरो टिलेज, जैविक नींदा नियंत्रण, समन्वित नींदा नियंत्रण, रबी फसलों में खरपतवार नियंत्रण की यांत्रिक विधियों जैसे हैप्पी सीडर तथा एक्वा सीड ड्रिल और विभिन्न नवीन नींदानाशकों के प्रभाव का अवलोकन किया गया। डॉ. सिंह ने प्रयोगों के महत्वपूर्ण निष्कर्षों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने पर जोर दिया।भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के खरपतवार अनुसंधान निदेशालय जबलपुर के निदेशक डॉ. पी.के. सिंह एवं वैज्ञानिक डॉ. योगिता घरडे तथा डॉ. सुभाष चंदर ने अखिल भारतीय खरपतवार प्रबंधन परियोजना के तहत इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित प्रयोगों की स्थिति की सराहना करते हुए कहा कि विभिन्न उपचारों का प्रभाव दिखाई दे रहा है। उन्होंने इन प्रयोगों से प्राप्त निष्कर्षों की जानकारी कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से किसानों तक पहुचाने पर जोर दिया।

परियोजना के प्रमुख अनवेषक डॉ. श्रीकान्त चितले एवं सहयोगी वैज्ञानिकों डॉ. नितिश तिवारी और डॉ. तापस चौधरी ने बताया कि हैप्पी सीड ड्रिल के उपयोग की जानकारी सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों को दी जा चुकी है एवं इस वर्ष काफी बड़े रकबे में इस पर प्रदर्शन भी आयोजित किये गए हैं। कृषि महाविद्यालय रायपुर में सस्य विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नरेन्द्र पाण्डेय एवं परियोजना प्रभारी डॉ. चितले ने समीक्षा दल को परियोजना के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया।

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