बिलासपुर। कहा जाता है कि पंच-सरपंच परमेश्वर होता है। वे जो भी फैसला करते हैं सही करते हैं। इसका ताजा उदाहण कोरोनाकाल में भी देखने को मिला है।
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने बिलासपुर जिले के एक सरपंच ने सराहनीय कार्य किया है। सरपंच ने अपने ही पुत्र को बाहर से आने के कारण कोरेटिंन में रहने 14 दिनों के लिए गांव के स्कूल में भेज दिया।
बिलासपुर के तखतपुर क्षेत्र अंतर्गत आने वाले राजपुर के सरपंच मनहरण पोर्ते के पुत्र पिंटू पोर्ते शहडोल जिला (मप्र) से गांव लौटा है। गांव पहुंचने पर सरपंच पिता मनहरण ने उसे सीधे हायर सेकेंडरी स्कूल के कोरेटिंन सेंटर में आइसोलेसन के लिए भेज दिया है। इस गांव में बाहर से आने वाले लोगों के लिए यही नियम अपनाए जा रहे हैं।
सरपंच पुत्र पिंटू पोर्ते ने बताया कि एसईसीएल में कार्य करने के दौरान बहुत सारे लोग फंसे हुए थे। जैसे ही संचालक से बात किया उसके बाद कल शाम को एम्बुलेंस के माध्यम से बिलासपुर हॉस्पिटल लाया गया। फिर जांच के बाद गाँव के स्कूल में रहने के लिए सरपंच (पिता) ने कहा।
जनपद सीईओ हिमांशु गुप्ता ने कोरेटिंन में भेजे गए सरपंच पुत्र व सरपंच के सराहनीय कार्य को लेकर प्रशंसा करते हुए कहा कि हर गाँव के सरपंच को मोह त्याग इस बीमारी से ऐसे ही लड़ा जा सकता है। विधायक प्रतिनिधि एवं उपसरपंच जित्तू तिवारी ने भी इस विषय को सराहनीय मानते हुए फेसबुक व ट्विटर के माध्यम से सराहा है।
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